मोदी के आदेशों के बाद भी ढीली रही व्यवस्था

वैक्सीन के अभाव में हजारों कोरोना योद्धाओं कि मौत

मुश्ताक खान/ मुंबई। कोरोनाकाल में वैक्सीन आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक नहीं अनेक बार यह कहा था कि सबसे पहले फ्रंट लाईन वर्कर्स को वैक्सीन लगाना है। लेकिन वैक्सीन के अभाव में हजारों फ्रंट लाईन वर्करों (कोरोना योद्धा) ने कोरोना की दूसरी लहर में दम तोड़ दिया।

इनमें हॉस्पिटलों के डॉक्टर व उनके मातहत काम करने वाले कर्मचारी, पुलिसकर्मी, पत्रकार, सफाई कर्मचारी और एलपीजी सिलेंडरों को धर-धर पहुचाने वाले डिलिवरी बॉय भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री के आदेशों के बावजूद महाराष्ट्र, मुंबई के अधिकांश फ्रंट लाईन वर्करों को अब तक वैक्सीन नहीं मिल पाया है।

इस बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए दो बड़े ऐलान किए, पहला कि सभी राज्यों को अब केंद्र की तरफ से मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा 80 करोड़ गरीबों को इस साल के नवंबर तक मुफ्त राशन दिया जाएगा। और 21 जून से 18 से 44 वर्ष के युवाओं को मुफ्त में वैक्सीन लगाई जाएगी।

हालांकि इससे पहले कोरोना (Coronavirus) की दूसरी लहर के दौरान उन्होंने यह भी कहा था की सबसे पहले फ्रंट लाईन वर्कर्स को वैक्सीन लगाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने के बावजूद अब तक फ्रंट लाईन वर्कर्स वैक्सीन से वंचित हैं।

इस मामले में दर्जनों लोग अपनी पहचान छुपा कर प्रतिक्रिया देना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सरकार के रिएक्शन का डर है। जिसके कारण वे सामने नहीं आना चाहते। ऐसे में मामला यह उठता है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? कोरोना योद्धा की भूमिका निभाने वाले फ्रंट लाईन वर्कर्स अब जुमलों से निराश हो चुके हैं।

क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बार-बार कहने के बावजूद यहां जिसकी लाठी उसकी भैंस वाले मुहावरे को वैक्सीन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी चरितार्थ कर रहे हैं। बताया जाता है कि मुंबई में कार्यरत हजारो कोरोना योद्धाओं ने वैक्सीन के अभाव में दम तोड़ दिया। जिसके कारण दूसरे फ्रंट लाईन वर्कर्स में दहशत का माहौल है।

मनपा के जनसंपर्क अधिकारी तानाजी कांबले के अनुसार आरोग्य विभाग से कुल 221 कर्मचारियों की मौत कोरोनाकाल में हुई है। इनमें अधिकांश कर्मचारी संक्रमित थे और उन्हें समय पर टीका नहीं मिला। कोरोना से मुंबई में 119 व पूरे राज्य में 469 पुलिसकर्मियों को इस महामारी ने अपने आगोश में ले लिया। वहीं मराठी पत्रकार परिषद के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 126 पत्रकारों ने समाचार संकलन के दौरान कोरोना का शिकार हुए और अपनी जान गवाई है।

जबकि दिल्ली इंस्टिट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से 16 मई 2021 तक 238 पत्रकार कोरोना लहर की भेंट चढ़ गए। वहीं एलपीजी सिलेंडरों की डिलीवरी करने वाले दर्जनों लोग कोरोना की बलि चढ़ चुके हैं। इसके बाद भी वैक्सीन की भारी कमी बताई जाती रही है। अब यह देखना काफी दिलचस्प होगा की 21 जून से 18 प्लस वालों को वैक्सीन लगाया जाता है या नहीं?

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