नन्हीं रिया की कविता के कायल हो रहे रहिवासी

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। नन्ही उम्र में बच्चे गुड्डे, गुड़िया से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं। इस उम्र में कोई नन्ही बच्ची कविता लिखे। सहज हीं विश्वास नहीं होता। इसे सच कर दिखायी है बोकारो जिला के हद में डीएवी ढोरी की चौथी कक्षा की छात्रा रिया कुमारी ने। उसके द्वारा रचित कविता के कायल हो रहे हैं क्षेत्र के रहिवासी। प्रस्तुत है रिया की लिखी कविता:-

🌹माँ🌹
एक माँ ने मुझे बनाया,
एक मां ने धरती पर लाया।
ओ मेरी दो मां, ओ मेरी दो मां।।
पापा ने मुझे पढ़ाया-लिखाया,
मेरे सपनों को पूरा कराया।
जब मैं बड़ी हो जाऊंगी,
मैं अपना फर्ज निभाऊगी।
माँ-पापा को एक लोटा पानी जरूर पिलाऊंगी।
उनके चरणों में अपना शीश झुकाउंगी।
अरे! उनसे जाकर पूछो ना
जो अनाथ है।
उनके दिलों में भी क्या बात है,
वो अपने दिल की बात बाहर नहीं लाते हैं।
क्योंकि कुछ लोग उन्हें धक्का देकर भगाते हैं।
मां मेरी गलतियों को माफ करना,
मैं हूं तेरे जीवन का एक गहना।।

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