धर्मगुरुओं ने संभाली बाल विवाह की रोकथाम की कमान

सहयोगिनी ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच चलाया अभियान

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। स्वयंसेवी संस्था सहयोगिनी द्वारा बोकारो जिले में लगातार सामाजिक कार्यों यथा बाल विवाह, बाल श्रम की रोकथाम, महिला उत्पीड़न को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने 28 अप्रैल को एक भेंट में कहा कि धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला रहा है। कहा कि इस अक्षय तृतीया को बोकारो जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा।

बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के बोकारो में सहयोगी संगठन सहयोगिनी की ओर से अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के मौसम को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को व्यापक सफलता मिल रही है। सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन का हाथ बढ़ाया है।

संगठन ने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी बाल विवाह किसी पंडित, मौलवी, सरना मांझी हड़ाम या पादरी जैसे पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता। हमने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ अभियान से जोड़ने का फैसला किया। इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं कि इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होने पाएगा। कहा गया कि आज बोकारो जिले में तमाम मंदिरों-मस्जिदों के आगे ऐसे बोर्ड लगे, जिन पर स्पष्ट लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है।

गौरतलब है कि जेआरसी 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने के मकसद से चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया कैम्पेन चला रहा है। जेआरसी कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में जमीन पर काम कर 250 से भी ज्यादा नागरिक संगठनों का नेटवर्क है, जिसने पिछले वर्षों में दो लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं और पांच करोड़ से ज्यादा रहिवासियों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है।

सहयोगिनी ने स्थानीय स्वयंसेवक, बोकारो जिला बाल संरक्षण यूनिट के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझा कर अकेले 2023-24 में ही जिले में 435 बाल विवाह रुकवाए हैं। यह संगठन आगामी 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋभु की किताब व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज में सुझाई गई समग्र रणनीति पर अमल कर रहा है।

सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर रहिवासियों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की पक्ष के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया। क्योंकि यह वो सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है जो विवाह संपन्न कराता है। हमने उन्हें समझाया कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ अत्याचार है।

अठारह वर्ष से काम उम्र की किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दुष्कर्म है। बेहद खुशी का विषय है कि आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे तो देश से रातों रात इस अपराध का सफाया हो सकता है। इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त बोकारो के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।इस अभियान में सहयोगिनी के सनी कुमार, रवि कुमार राय, मंजू देवी, सोनी कुमारी, विकास कुमार आदि शामिल है।

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