एस. पी. सक्सेना/झारखंड। वैश्विक स्तर पर उथल पुथल से अछूता अब भारत भी नहीं रह गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा टैरीफ नीति में बदलाव, रूस-युक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास जंग, ईरान और अमेरिका में तनातनी, चीन-वियतनाम युद्ध की संभावनाओं ने वैश्विक स्तर पर पुरे विश्व को कई फाड़ में बांट दिया है। इसका असर अब अपने देश पर भी दिखने लगा है।
भारत सरकार हालिया स्थिति से निबटने के लिए तथा अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिए अमेरिका के तर्ज पर आयात शुल्क तथा उत्पाद शुल्क में बदलाव के संकेत दे दिया है। इसका नमूना के तौर पर 7 अप्रैल को भारत सरकार द्वारा घरेलू गैस, पेट्रोल तथा डीजल के उत्पाद शुल्क में वृद्धि किया जाना है। यह 8 अप्रैल से पुरे देश में लागु किया गया है। जिसके कारण महंगाई की मार झेल रहे देश की जनता एकबार फिर महंगाई की जद में आ गयी है।
हालांकि, उत्पाद शुल्क में इस वृद्धि के बाद पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़कर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर हो गया है। यह संशोधित दर 8 अप्रैल से लागू है। इस संबंध में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि इस वृद्धि का बोझ उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने सूचित किया है कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी। यह वृद्धि अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट के कारण समायोजित की जाएगी। बावजूद इसके आम जनमानस में संशय की स्थिति बन गया है। साथ हीं विपक्षी दलों को बैठे बिठाये केंद्र सरकार को घेरने का एक और मुद्दा हांथ लग गया है। देखना है सरकार किस प्रकार इस आपदा से निपटती है।
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