तीन भाईयों की एकलौती बहन दर दर भटकने को मजबूर

पिता की नौकरी पाकर भाई ने बहन को घर से निकाला
एस.पी.सक्सेना/ धिक्कार है ऐसे परिवारों, रिश्तेदारों, समाज के कथित ठेकेदारों पर जो एक बेसहारा युवती को सहारा ना दे सके। उपरोक्त सवाल तिखे हो सकते हैं मगर यह सौ फीसदी सत्य है। इसी तरह का एक मामला 28 फरवरी को बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में गोमियां व् बेरमो प्रखंड (Bermo block)के कथारा में देखने को मिला।
कथारा पंचायत के हद में असनापानी महाप्रबंधक आवास के समीप वेसाख्ता परेशान हाल युवती की आपबीती सुन कर मौजूद लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि समाज का कितना हाश्र हो गया है। इस मामले में पिड़ीत युवती फुल कुमारी (Fool kumari) (लगभग 22 वर्षीय) ने जो दर्द उपस्थित पत्रकारों को सुनाया। सुनकर मौजूद पत्रकारगण भी दर्द से बिलबिला उठे। बिना किसी भूमिका के यह साफ कर दूं कि इस युवती के माता पिता का देहांत हो चुका है। युवती के अनुसार उसके पिता राम वरन चौहान सीसीएल कथारा फिल्टर हाउस में कार्यरत थे। उनके निधन के बाद उनके तीन भाईयों क्रमशः बैजू चौहान, संजय चौहान तथा ब्रिजभान चौहान में बैजू चौहान को सीसीएल मे नौकरी मिला। पीड़िता के अनुसार सीसीएल मे काम पाते ही उसका भाई बैजू कथारा स्थित कंपनी का क्वार्टर जमाकर खुद अपने ससुराल फुसरो अथवा कल्याणी चला गया। संभवतः वह कल्याणी परियोजना(एसडीओसीएम) में कार्यरत है। पीड़िता फुल कुमारी के अनुसार उसके भाई ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि वह अपनी जवान बहन के सर से छत छिनकर किसके सहारे उसे छोड़े जा रहा है। जबकि उसका दोनो भाई खुद दैनिक मजदूरी कर भाड़े के घर में रह रहा है। इस पुरे मामले का उजागर उस समय हुआ जब क्षेत्र के एक वरीय पत्रकार अपनी चारपहिया वाहन की सफाई के लिए सर्विसिंग सेन्टर गये थे। इस दौरान पत्रकार की नजर पास में ही एक जगह युवती को कपड़ा साफ करते पड़ा। इसी बीच उक्त युवती प्यास बुझाने के लिए कार सर्विसिंग सेन्टर की ओर बढ़ी, मगर वह शारीरिक रूप से इतना कमजोर और कई दिनो की भूखी दिख रही थी कि बार बार गिरने की स्थिति में पहुंच रही थी। यह नजारा देख पत्रकार के दिल में एक टिस सी उठी और वह आसपास के अन्य लोगों की मदद से युवती को सेन्टर तक लाया। वह भूख और प्यास से इतना व्याकुल थी कि कुछ बोल नहीं पा रही थी। उक्त पत्रकार ने आनन फानन उसके लिए खाने और पानी की व्यवस्था की। पत्रकारों ने युवती को तत्काल यथासंभव सहायता की। साथ ही कथारा पंचायत के उपमुखिया उषा चौहान से बात कर वैकल्पिक व्यवस्था होने तक अपने ही शरण में रखने के लिए राजी किया और उक्त पिड़ीत युवती को उनके आवास कथारा दो नंबर भेज दिया गया, ताकि उस युवती को दो वख्त का खाना के साथ साथ उसकी इज्जत आबरु की भी सुरक्षा हो सके। वही दुसरी तरफ पत्रकारों द्वारा उसके सीसीएल कर्मी भाई की तलाश भी शुरु कर दी है, ताकि उससे पुछा जा सके कि क्या कसुर है उस अबला बहन का जिसे तुम बेघर छोड़ आये हो।
सवाल यह उठता है कि क्या सगा, संबंधी और समाज के लोग इतने संवेदनहीन हो गए है कि माता पिता के देहांत के बाद बेटियां इसी तरह दर दर भूखी प्यासी भटकती रहे और अपनी इज्जत व अस्मत बचाने के लिए संघर्ष करती फिरे। एक बड़ा सवाल इस मामले में दोषी कौन एकबारगी आवश्यकता है। अगर इस सभ्य समाज में तनिक भी इंसानियत बाकि है तो उस अबला बहन को न्याय एवं रक्षा के लिए हांथ अवश्य आगे आएगा। इधर पत्रकारों ने उपमुखिया के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि उपमुखिया का दिल आज भी इंसानियत के लिए धड़कता है जो आज उन्होने साबित कर दिखाया है।

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