मुद्राराक्षसम का हिंदी में सफल मंचन कर गणतंत्र की आदि भूमि का लहराया परचम
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण के निकटवर्ती वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर की ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था सृष्टि बाल युवा एवं महिला उत्थान मंडल ने नई दिल्ली में विशाखा दत्त का संस्कृत नाटक मुद्राराक्षसम का हिंदी में सफल मंचन कर जमकर वाहवाही लूटी। कलाकारों ने अपनी उम्दा प्रस्तुतियों, भाव – अभिनय आदि से दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ गणतंत्र की आदि भूमि वैशाली का परचम लहराया।
संस्था के इस उम्दा प्रस्तुति को लेकर संस्था से जुड़े कलाकारों का यहां भव्य स्वागत किया गया। विदित हो कि, संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से देश की राजधानी नई दिल्ली के एलटीजी ऑडिटोरियम में विशाखा दत्त के इस संस्कृत नाटक मुद्राराक्षसम का हिंदी में मंचन विगत 17 दिसंबर को किया गया था। कार्यक्रम के दौरान कलाकारों की उम्दा नाट्य प्रस्तुति का जादू दर्शकों पर छाप छोड़ गया। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय मंत्री दशई चौधरी ने किया था।
नाटक में नायक आचार्य चाणक्य की भूमिका में शरत त्यागी और अमात्य राक्षस की भूमिका में मोनिदीप कुंजीलाल का अभिनय और संवाद संप्रेषण मजेदार था। युवराज चंद्रगुप्त मौर्य की भूमिका में कुणाल भारद्वाज और मलयकेतु की भूमिका में सतेंद्र बगासी की टक्कर थी, जिसमें कुणाल की भाव भंगिमा और सतेंद्र का सात्विक अभिनय प्रशंसनीय रहा।
चाणक्य के रणनीति का हिस्सा और उनके गुप्तचरों में सेविका और विषकन्या विजया की भूमिका में अदिति जैन, सिद्धारक स्वयंभू, निपुणक विजय शुक्ला, विराधगुप्त में साहिल सिद्दीकी के अभिनय में स्पष्टता और रोचकता थी। राक्षस के मित्र नगरश्रेष्ठी चंदन दास बने भास्कर झा, वधिक यश मेहरा और प्रिंस कुमार, सैनिक कार्तिकेय मिश्रा, महालक्ष्मी हेमलता मौर्य, शारंगरव सौरभ कुमार, नटी हेमलता मौर्या, नट विकास कुमार ने अपने अपने चरित्र को निभाया।
उक्त नाटक के कथानक से दर्शकों को जोड़ने के लिए पंद्रह मिनट का पूर्वरंग भी प्रस्तुत किया गया था, जिससे दर्शक नाटक के कथ्य और विषय से आसानी से जुड़ जाएं।
पूर्वरंग में सूत्रधार थे अनुवेश कुमार और शुभम भारती, चंद्रवर्धन मोरिया, प्रिंस शेखर, नूरा अर्चना कुमारी और धनानंद की भूमिका निभाया था विजय शर्मा। नाटक में प्रकाश उत्पल झा, पार्श्व संगीत प्रभाव अतुल ढींगरा, सेट शिवम् यादव, वस्त्र विन्यास कुणाल भारद्वाज और रूप सज्जा अर्चना कुमारी का था। संस्कृत से हिंदी में रूपांतरण एवं निर्देशन कुमार वीर भूषण व् परिकल्पना अतुल ढींगरा का था।
42 total views, 42 views today