नंद कुमार सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला (Bokaro District) के हद में सीसीएल ढोरी क्षेत्र (CCL Dhori Area) द्वारा पेटरवार प्रखंड के पिछरी कोलियरी के 458 एकड़ भूमि को कोयला उत्खनन के लिए भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर अधिग्रहित किया है। भूमि सत्यापन के बाद वैध रैयतो को सीसीएल द्वारा मुआवजा और नियोजन दिया जाना है।
ढोरी क्षेत्रीय द्वारा लगातार कैंप लगाकर रैयतो से भूमि के कागजात जमा कराने का प्रयास चल रहा है। बावजूद इसके अबतक 150 एकड़ भूमि के कागजात रैयतो द्वारा जमा किया गया है, जिसमें मात्र 60 एकड़ जमीन का पूर्ण कागजात जमा कराया गया है। जिसमे 26 एकड़ भूमि का ही सत्यापन हुआ है।
भूमि सत्यापन का काम (राज्य सरकार के अधिकारी) सीओ पेटरवार को करना है। एक तो रैयत पूर्ण कागजात उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, दूसरी ओर सीओ द्वारा सत्यापन का कार्य मंथन गति से किया जा रहा है। इस बीच में ढोरी प्रबंधन और रैयत पीस रहे हैं। प्रबंधन जल्द से जल्द पिछरी कोलियरी चालू कराने के लिए प्रयासरत है।
जानकारी के अनुसार पिछरी अधिग्रहित क्षेत्र में 19 मिलियन टन कोयले का विशाल भंडार है। प्रबंधन ने अबतक रैयतो के प्रतिनिधि, नेतृत्त्वकर्ता, जनप्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों से कई बार वार्ता कर चुकी है। लेकिन मामला भूमि सत्यापन पर आकर अटक जाता है।
इस संबंध में गोमियां विधायक डॉ लंबोदर महतों (Gomiyan MLA Dr Lambodar) से जब पूछा गया कि बीते 26 जुलाई को विस्थापित बचाओ महारैली ढोरी में आपने प्रबंधन से विस्थापितों की मांग मानने को कहा, पर प्रबंधन मांग मानने में क्यों असमर्थ है? यह आपको पता है या नहीं।
उन्होंने बताया कि काशीनाथ सिंह या अन्य किसी ने उन्हें यह नहीं बताया कि विस्थापितों की मांग माने जाने में भूमि सत्यापन का ना होना सबसे बड़ी बाधा है। जब उनको बताया गया कि कुल अधिकृत भूमि में से 150 एकड़ भूमि के कागजात जमा हुए हैं। जिसमें से 50 से 60 रैयतो का ही कागजात पूर्ण है।
उसमें से अब तक मात्र 26 एकड़ भूमि का सत्यापन हुआ है। पेटरवार सीओ द्वारा सत्यापन का काम मंथन गति से किया जा रहा है। उनसे जब पूछा गया कि क्या प्रबंधन बिना भूमि सत्यापन के मुआवजा और नियोजन दे सकता है। विधायक महतो ने कहा कि बिना भूमि सत्यापन के प्रबंधन मुआवजा और नियोजन नहीं दे सकता है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में इतने डिटेल्स में जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि ढोरी जीएम को भूमि की लिस्ट लेकर आ रही समस्या की जानकारी उनको देनी चाहिए। वह भूमि सत्यापन में तेजी लाने का प्रयास करेंगे, ताकि रैयतो को मुआवजा और नियोजन मिल सके तथा पिछरी कोलियरी चालू होने से देश को कोयला मिल सके।
इस संबंध में विस्थापितों के नेतृत्वकर्ता काशीनाथ से जब पूछा गया तो उन्होंने आरोप लगाया कि पेटरवार सीओ पैसा लेकर भूमि सत्यापन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जो रैयत पैसा नहीं देते हैं उसका फाइल रोक कर रखा जाता है। सीओ खतियान धारकों को महत्व नहीं दे रहा है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ हंगामा खड़ा करना उनका मकसद नहीं है। वह चाहते हैं कि रैयतो को जल्द मुआवजा और नियोजन मिले। बिना भूमि सत्यापन के ढोरी जीएम, सीसीएल के सीएमडी, कोल इंडिया के चेयरमैन तक नियोजन नहीं दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हंगामा खड़ा करने से नेताओं को तो आत्मसंतुष्टि और उत्साहवर्धन भले हो जाए। इससे रैयतो का कोई भला नहीं होने वाला है। रैयतो का भला विधायक महतो भूमि का सत्यापन करवा कर ही करा सकते हैं। दूसरा और कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है।
इस संबंध में ढोरी क्षेत्र के महाप्रबंधक एमके अग्रवाल ने बताया कि वे ग्रामीण प्रतिनिधियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। उनके पदाधिकारी कैंप लगाकर भूमि के कागजात प्राप्त करने में लगे हुए हैं।
भूमि का सत्यापन तेजी से हो इसके लिए भी वे प्रयासरत हैं। बावजूद इसके उतनी सफलता नहीं मिल रही है, जितनी अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि वह सबका विकास, सबका साथ और सबका प्रयास के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। जिसमें सबके सहयोग की अपेक्षा है।
249 total views, 1 views today