प्रबंधन व प्रशासन से उच्चस्तरीय वार्ता का लिया निर्णय
प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। सीसीएल प्रबंधन द्वारा बीते 27 जून को ढोरी क्षेत्र के अमलो प्रोजेक्ट अंतर्गत परियोजना से सटे पुरनाटांड बस्ती में सुरक्षा जवानों को भेजकर जबरन डोजर चलाने की कोशिश के विरूद्ध 28 जून को विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति, झारखंड प्रदेश (Jharkhand Pradesh) के विस्थापित नेताओं ने कथित स्थल का गहनता से जायजा लिया। साथ हीं ग्रामीण विस्थापितों से वस्तुस्थिति की जानकारी ली। तत्पश्चात बस्ती में ग्रामीणों के साथ बैठक की गई।
समिति के अध्यक्ष लखनलाल महतो ने कहा कि पुरनाटांड के विस्थापितों की समस्याओं के निदान हेतू जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों और सीसीएल के उच्च अधिकारियों से वार्ता किया जाएगा। उन्होने कहा कि सीसीएल प्रबंधन यदि अपनी हठधर्मिता को त्याग दें और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढें तो पुरनाटांड के रैयतों की समस्याओं का निराकरण तुरंत हो जाएगा। वहाँ कोयला उत्पादन भी बेरोकटोक किया जा सकता है। उन्होने कहा कि पुरनाटांड में रह रहे विस्थापितों के घरों में ब्लास्टिंग का पत्थर उड़ने से वहाँ जानमाल का खतरा उत्पन्न हो गया है, इसलिए अविलंब विस्थापित परिवारों को कोई सुरक्षित जगह पर स्थायी तौर पर पुनर्वासित किया जाना चाहिए।
समिति के महासचिव काशीनाथ केवट ने प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि प्रबंधन विस्थापितों के साथ जोर जबरदस्ती करना बंद करे। उन्हें समुचित पुनर्वासित करने के साथ-साथ वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था करें, तभी दोनों पक्ष की समस्या का समाधान संभव है। उन्होने कहा कि प्रबंधन इस बात को गाँठ बांध लें कि विस्थापितों ने अपने पुरखों की बेशकीमती जमीन दिया है। वे कोई अतिक्रमणवादी नहीं हैं।
इसलिए उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाय, अन्यथा विस्थापितों के सब्र का बांध टूट सकता है। जिससे उनमें वर्षो से संचित गुस्सा विस्फोटक रूप धारण कर सकता है। कार्यकारी अध्यक्ष विनोद महतो ने विस्थापितों को आह्वान किया कि वे जुझारू आंदोलन की तैयारी करें। अब प्रबंधन की ज्यादतियों को सहने के बजाए मुंहतोड़ जबाब दिया जाएगा। इसके विरुद्ध व्यापक आंदोलन की रणनीति पर जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अब पुरे सीसीएल के विस्थापित प्रबल झंझावत की तरह उठ खड़े हो रहे हैं। अब आंदोलन आरपार का होगा। सूरज महतो ने कहा कि प्रबंधन गैरकानूनी तरीके से उत्खनन कार्य कर रही है, जो बर्दास्त के बाहर है। ग्रामीणों के द्वारा संरक्षित बन संपदा और पहाड़ को बेरहमी से काटा जा रहा है,जो असहनीय है। मौके पर दिलीप कुमार, लालमोहन यादव, विरेन्द्र करमाली, लालमोहन महतो, दशरथ महतो, बौधराम महतो, सरस्वती देवी, ललिता देवी, प्रकाश पंडित, शिवकुमार तांती, बन्धनी देवी आदि अनेको मौजूद थे।
587 total views, 1 views today