मुंबई में होने वाले भूस्खलन को रोकने में नाकाम है सरकार

257 खतरनाक स्थानों 22,483 परिवार रहने को मजबूर

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। तकरीबन हर साल मानसून के दौरान मुंबई के विभिन्न पहाड़ी वाले खतरनाक स्थानों पर भूस्खलन के कारण जानमाल और आर्थिक नुकसान होता है। इसके बावजूद राज्य सरकार पिछले 12 वर्षों से भूस्खलन के हादसे को रोक पाने में नाकाम है या गंभीर नहीं है। इसी तरह पिछले 31 सालों में सड़क हादसों में 310 लोगों की मौत हुई है और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

गौरतलब है कि मुंबई के 36 में से 25 विधानसभा की सीटों पर 257 विभिन्न जगहों को पहाड़ी इलाकों में खतरनाक स्थानों की श्रेणी में रखा गया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि मुंबई स्लम इम्प्रूवमेंट बोर्ड ने राज्य सरकार को प्राथमिकता के आधार पर 22,483 झोपड़ियों में से 9, 657 झोपड़ियों को स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी।

पहाड़ियों के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाकर शेष झोपड़ियों को सुरक्षित करने का प्रस्ताव भी दिया था। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) को मानसून के दौरान 327 जगहों पर भूस्खलन की वजह से चेतावनी दी थी।

गौरतलब है कि घाटकोपर के आजाद नगर, जरिमरी कड़ी नंबर 3 में वर्ष 1992 से 2023 के बीच भूस्खलन हादसे में 310 लोगों की मौत हुई थी। जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए। इसके बाद मुंबई स्लम इम्प्रूवमेंट बोर्ड ने स्थानांतरण करने की सिफारिश की थी। 2010 में एक व्यापक सर्वेक्षण किया था, और अगर उसी समय पर कार्रवाई की जाती, तो पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों की मौत को रोका जा सकता था।

बोर्ड की रिपोर्ट और अनिल गलगली के पत्रव्यवहार के बाद, तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने 1 सितंबर, 2011 को एक कार्य योजना तैयार करने का आदेश नगरविकास विभाग को दिया था। हालांकि, उस समय से अब तब 12 साल बीत चुके हैं, लेकिन नगर विकास विभाग अभी भी सो रहा है। यानी किसी ने भी मुख्यमंत्री के आदेश के अनुसार एक्शन टेकिंग प्लान (एटीपी) नहीं बनाया ।

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