एस.पी.सक्सेना/देवघर (झारखंड)। देवघर जिला उपायुक्त (Deoghar district Deputy Commissioner) मंजूनाथ भजंत्री द्वारा 5 अक्टूबर को जिलावासियों को जागरूक करने के उद्देश्य से डायन कुप्रथा के उन्मूलन हेतु समाहरणालय परिसर से जागरूकता रथ को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया गया। इस दौरान उन्होंने जागरूकता रथ के पंचायतवार परिचालन को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया।
कार्यक्रम के दौरान मीडिया प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि डायन कुप्रथा हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिषाप है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए सरकार व जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है और हर संभव प्रयास कर रही है।
इसी उद्देश्य से जागरूकता रथ को रवाना किया गया है, ताकि शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार कर समाज में फैले अंधविश्वास को दूर किया जा सके। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते है महिलाओं का समाज निर्माण में बहुत बड़ा योगदान होता है।
महिलाओं को सशक्त व स्वाबलंबी बनाना हम सभी की जिम्मेदारी है। ऐसे में हमलोगों ने कई बार ये भी देखा है कि अकेले रह रहे बुजुर्गों के संपत्ति के लोभ को देखते हुए या डायन बताकर किसी पर अत्याचार करना या ऐसे अंधविश्वास जो आज भी महिलाओं को डायन बना देते हैं। इस विकृत सोच को समाज से खत्म करने और लोगों को इस दिशा में जागरूक करने की आवश्यकता हैं।
उपायुक्त ने कहा कि आज हम सभी देख रहे है, महिलाएं आज हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बन रही है। हमे यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरूष और महिला दोनोें समान रूप् से योगदान करते हैं। हर महिला विशेष होती है। चाहे वह घर पर हो या कार्यालय में।
आज महिलाएं अपने आस-पास की दुनियां में बदलाव ला रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि बच्चों की परवरिश और घर को घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उनका सम्मान करे।
ऐसे में जिलावासियों से भी यही आग्रह होगा कि हम अपने जीवन में महिलाओं का सम्मान करें। भ्रूण हत्या, महिला उत्पीड़न, डायन प्रथा जैसे मानसिक कुरीतियों को समाज से पूर्ण रूप से खत्म करने में अपना हर संभव योगदान सुनिश्चित करें।
उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री द्वारा जानकारी दी गयी कि किसी महिला को डायन कहना या उसके डायन की अफवाह फैलाना या उसे डायन कहने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाना अथवा किसी महिला को डायन घोषित कर उसे शारीरिक या मानसिक कष्ट देना कानूनन जुर्म है।
डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999 के अनुसार धारा 3 के तहत डायन का पहचान करने वाले या कहने वालो को-3 महीने की सजा या रु1000/-जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 4 के तहत डायन बता कर किसी को प्रताड़ित कराना-6 महीना की सजा या रु 2000/-जुर्माना अथवा दोनों है।
धारा 5 के तहत डायन चिन्हित करने में जो व्यक्ति उकसायेगा-3 महीने की सजा या रु 1000/- जुर्माना अथवा दोनों है। धारा 6 के तहत भूत-प्रेत झाड़ने की क्रिया-1 साल की सजा या रु 2000/- जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
इस अधिनियम की सभी धाराएँ संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं एवं अजमानतीय है। इस दौरान जिला समाज कल्याण पदाधिकारी परमेश्वर मुंडा, डीसी सेल से अमृता सिंह एवं संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मी आदि उपस्थित थे।
275 total views, 1 views today