जहरीले जीव जंतु व सांप ने अपना आश्रय स्थल चिकित्सालय को बनाया
प्रहरी संवाददाता/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला (West singhbhum district के हद में केंद्रीय चिकित्सालय बड़ाजामदा की स्थिति वर्तमान में अत्यंत चिंतनीय एवं दु:खद है। जिसकी स्थिति किसी को भी मर्माहत एवं अफसोस जाहिर करने को मजबूर कर देगी।
उक्त चिकित्सालय का दौरा करने के बाद यह बात का उजागर हुआ कि श्रम कल्याण आयुक्त कार्यालय राँची अंतर्गत संचालित चिकित्सालय में विभिन्न प्रकार की और सुविधाएं हैं। बुनियादी तौर से चिकित्सालय के सुरक्षा के लिए चौकीदार की कमी है। परिणाम स्वरूप चिकित्सालय का बाउंड्री वॉल के अंदर किसी का भी प्रवेश कर जाना सामान्य सी बात है।
जहरीले जीव जंतु व सांप ने अपना आश्रय स्थल चिकित्सालय को बना रखा है।चिकित्सालय में चिकित्सकों की पद रिक्त है। जबकि महज एक डॉक्टर से चिकित्सालय को संचालित किया जा रहा है। चिकित्सालय के अन्य स्टाफ यथा नर्स की संख्या 12 होनी चाहिए, जबकि बहुत ही कम संख्या में नर्स कार्यरत है।
चिकित्सालय के इंफ्रास्ट्रक्चर व लाइट की स्थिति बुरी है। लाइट का बैकअप नहीं रहने के कारण स्वाभाविक तौर से मरीजों को विभिन्न प्रकार की परेशानियों व अंधेरे का सामना करना पड़ रहा है। दवा की उपलब्धता नहीं रहने के कारण मरीजों की चिकित्सा स्वाभाविक रूप से नहीं हो पा रही है।
चिकित्सालय के फार्मासिस्ट टेक्नीशियन व लिपिक की अनुपस्थिति में चिकित्सालय शोभा की बस्तु बनी हुई है। चिकित्सालय परिसर में पीने के लिए पानी का भी अभाव है। महज एक पुराने कुएं से पानी निकासी कर मरीजों व सेवारत कर्मी पानी का इस्तेमाल करते हैं। उक्त तथ्यों को दृष्टिगोचर करते हुए श्रम कल्याण आयुक्त राँची एम ए खान से बड़ाजामदा क्षेत्र के लोगों ने चिकित्सालय की व्यवस्था को दुरुस्त किए जाने की मांग की है।
जानकारी के अनुसार उक्त चिकित्सालय का उद्घाटन 17 सितंबर 1978 को केंद्रीय श्रम राज्य मंत्री लारंग साई द्वारा की गई थी। वर्तमान 52 बेड चिकित्सालय की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। उल्लेखनीय है कि विगत 9 वर्षों से क्षेत्र के माइंस बंद होते जा रहे हैं। परिणाम स्वरूप श्रमिकों की संख्या में भी कमी आ रही है। अंततः जो भी मरीजों हैं उनके इलाज चिकित्सालय में नहीं हो पा रहा है।
केंद्रीय राज्य श्रम मंत्रालय द्वारा उक्त चिकित्सालय श्रमिकों की सेवा के लिए स्थापित की गई थी। लेकिन चिकित्सालय की असुविधा ने चिकित्सालय के विभिन्न कक्षों में दीमक लगने पर मजबूर कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि इसी चिकित्सालय परिसर के अंदर श्रम आयुक्त कार्यालय की स्थापना भी की गई है। लेकिन वस्तु स्थिति यह है कि केंद्रीय चिकित्सालय बड़ाजामदा की तरह ही श्रम एवं कल्याण आयुक्त कार्यालय बड़ाजामदा सुविधाओं के कारण आंसू बहाने को मजबूर है।
संबंधित तथ्यों के संदर्भ में वर्षों से सेवारत चिकित्सक डॉ दीपक कुमार से बात की गई तो पता चला उनके सतत प्रयासों के बावजूद भी चिकित्सालय अभाव ग्रस्त अवस्था में होने के कारण दम तोड़ने को मजबूर है ।
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