रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बीते 3 अप्रैल को अपरेंटिस प्रशिक्षित संघ के छात्रों ने बोकारो स्टील प्लांट के एडीएम विल्डिंग के समक्ष नियोजन की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन के दौरान सीआईएसएफ जवानों द्वारा लाठीचार्ज किया गया, जिससे प्रेम कुमार महतो की मृत्यु हो गई। इस दौरान कई छात्र को गंभीर चोट आई, जिसका बीजीएच में इलाज जारी है।
घटना के तुरंत बाद बोकारो विधायक स्वेता सिंह पहुंची और कुछ समय बाद डुमरी विधायक भी पहुंचे। जिसके बाद दोनों विधायकों के समर्थक आपस में उलझ पड़े और देखते ही देखते विस्थापित आंदोलन दिशाहीन हो गया। दोनों विधायक की जुबानी जंग शुरू हो गई। वहीं बीते 4 अप्रैल को बोकारो शहर पुरी तरह बंद रहा। वार्ता के लिए कई विधायक डीसी कार्यालय पहुंचे। वहां भी विधायक स्वेता सिंह और जयराम महतो समर्थक लड़ने लगे, जिससे विस्थापित आंदोलन की कमजोरी उजागर कर दिया। जिससे वार्ता असफल हो गया।
देर शाम धारा 163 लगाकर आंदोलन को कुचलने का काम किया गया। दोनों विधायकों के जुबानी जंग तेज हो गया, जिससे आन्दोलन पुरी तरह दिशाहीन हो गया।
इसी कमजोरी को भांपते हुए धनबाद सांसद ढूल्लू महतो ने पीड़ित परिवार, आन्दोलनकारी से बिना कोई बात किए आनन-फानन में शहीद प्रेम कुमार महतो के गार्जियन को पांच लाख रुपया का चेक, अस्थाई नौकरी, 20 डिसमिल जमीन मुआवजा का आश्वासन देकर आंदोलन को समाप्त करवा दिया।
इसके दुसरे दिन सेल प्रबंधन के शिकायत पर लगभग 400 अज्ञात आन्दोलनकारी पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया। जो आंदोलन को हमेशा के लिए कुचलने की कोशिश है। सबसे आश्चर्य की बात है कि आन्दोलन में लगातार बयानबाजी करने वाले विधायक, सांसद पर कोई केस दर्ज नहीं किया जाता है।
एक विस्थापित का बेटा मारा गया, लेकिन दोषी सेल प्रबंधन और सीआईएसएफ के जवान पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
एशिया का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना आज जमीन देने वाले को नौकरी मांगने पर मौत बांट रहा है। जो बहुत ही पीड़ादायक और असहनीय है।
राज्य और केंद्र सरकार इसका तमाशा देख रहे हैं। समय रहते सरकार इसका समाधान नहीं कर्ता है, तो जमीन मालिक और स्थानीय रहिवासियों की बर्दाश्त की इंतहा पार कर गया है। कहीं ऐसा न हो कि आने वाले समय में बोकारो स्टील प्लांट इतिहास में दर्ज़ होकर रह जाए। यह उदगार आंदोलनकारी इमाम सफी ने 9 अप्रैल को व्यक्त किया है।
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