आंदोलनकारियों ने कसी कमर!

अदानी भगाओ -धारावी बचाओ

9 अगस्त को अहम बैठक 

मुश्ताक खान/मुंबई। धारावी के विकास के मुद्दे पर स्थानीय बुद्धिजीवियों और प्रबुद्धनागरिकों की विचारधारा मौजूदा समय में एक दूसरे से काफी मेल खाती है। यही कारण है कि लोग धारावी को बचाने के लिए कंधे से कंधा मिला कर चल रहे हैं, इसे लेकर लगातार एक के बाद बैठकें और आंदोलन कर रहे हैं।

ताकि धारविकरों के अनुरूप धारावी का विकास हो और यहां की जनता को अपने हक का आशियाना मिले। लेकिन जबसे राज्य सरकार ने धारावी के विकास का काम अडानी ग्रुप को सौंपा है, तभी से धारावी में भूचाल आ गया है। यहां के स्थानीय नागरिक, धारावी बचाओं के आंदोलनकारी और इससे जुड़े लोगों का कहना है कि हासिये पर आई गौतम अदानी के बुते से बाहर है धारावी का विकास कर पाना।

इसके बावजूद यह काम अदानी रियल्टी को सौंपा गया, इसके पीछे राज्य सरकार की मंशा क्या है? यहां के बुद्धिजीवियों और प्रबुद्धनागरिकों का कहना है कि लगभग 2.8 वर्ग किलोमीटर में फैले धारावी की अनुमानित जनसंख्या 10 लाख के करीब है। इस परिसर में करीब 60 हजार परिवार रहते हैं। इनमें लगभग 12 हजार कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी है।

आज होगी अदानी भगाओ की अहम बैठक

धारावी बचाओ अभियान के शिल्पकारों को मनपा के भ्रष्ट अभियंताओं और भू माफियाओं से सावधान रहते हुए उन पर भी नजर रखनी चाहिए। चूंकि इस जीत के बाद भविष्य में अभियंताओं और भू माफियाओं के कारण और भी कई अड़चनें आ सकती हैं। मिसाल के तौर पर एक झोपड़ा दो या इससे अधिक ऊंच होने की स्थिति से भी बाधाएं आएंगी, जिसे फ़िलहाल बयान नहीं किया जा सकता? क्योंकि धारावी बचाओ अभियान के आंदोलनकारियों का पहला मुद्दा अडानी हटाओ है।

बहरहाल 9 अगस्त को अदानी भगाओ, धारावी बचाओ की महा बैठक होने वाली है। इस बैठक में हर पार्टी और हर समाज के लोगों का योगदान होगा। कयास लगाया जा रहा है कि इस बैठक में लगभग हर बिंदुओं पर चर्चा होगी। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि पूर्व योजना के तहत होने वाली इस बैठक में अडानी के कुछ खास लोग और चमचे भी होंगे, जो बैठक में हुई बातों की जानकारी उन तक पहुंचाने वाले हैं।

सरकार का मास्टरप्लान क्या ?

गौरतलब है कि भाजपा-शिवसेना की सरकार ने पहली बार वर्ष 1999 में धारावी के लोगों के पुनर्वास का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने धरावी की झोपड़पट्टियों को इंटीग्रेटेड प्लान, टाउनशिप के रूप में डेवलप करने का फैसला किया। इसके लिए कार्ययोजना बनाकर निविदा भी निकाले गए, पर आगे चलकर पूर्व की सभी निविदाओं को रद्द कर दिया गया और एक मास्टरप्लान बनाने का फैसला किया गया।

इसके तहत राज्य सरकार (State Government) मुंबई के विकास योजना के तहत इस क्षेत्र में शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारकर गगनचुंबी इमारतें बनाना चाहती है। बताया जाता है कि धारावी का विकास करने के लिए गौतम अदानी की कंपनी अदानी रियल्टी से पहले दुबई की इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म सिकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन को वर्ष 2019 के जनवरी महीने में दिया गया था।

यानि जैसे जैसे सरकारें आईं अपने हिसाब से विकास करने का बजाए, विनाश की लकीरे खींचती चली गई, नतीजा धारविकरों के साथ -साथ पूरा देश और दुनिया देख रही है। इस कड़ी में दिलचप्स बात यह है कि वर्ष 2019 में अडानी ग्रुप धारावी का टेंडर हांसिल करने में असफल रहा था। हालांकि दुबई की इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म सिकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन का मामला अब भी अदालत में लंबित है।

धारावी का क्या है इतिहास

मौजूदा समय में धारावी एशिया महादेश की सबसे घनी आबादी वाली झोपड़पट्टी है, इसे करीब 140 साल पहले अंग्रेजों ने वर्ष 1882 में बसाया था। धारावी मजदूरों के लिए सबसे किफायती ठिकाना था। समय के साथ-साथ यहां आबादी बढ़ती गई और झुग्गी-झोपड़ियां धारावी की पहचान बन गईं। हालांकि स्लम एरिया सरकार की जमीन पर है, पर लोगों के बसने का सिलसिला लगातार जारी है।

यहां बॉलीवुड और हॉलीवुड हर जगह के फिल्मकार धारावी की विपन्नताओं को फिल्मा चुके हैं। इसकी झलक हमें स्लमडॉग मिलेनियर समेत कई वैश्विक फिल्मों में देखि जा चुकी है। इस लिहाज से धरावी टूरिस्ट स्पॉट के रूप में भी अपनी पहचान बना चूका है।

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