एस. पी. सक्सेना/बोकारो। ब्रिटिश राज्य (British State) के जमाने में देश की जनता की आवाज को कुचलने के लिए बने 1870 के राजद्रोह कानून की धारा 124 ए पर उच्चतम न्यायालय ने शानदार फैसला दीया है। यह स्वागत योग्य है। उक्त बातें 11 मई को माकपा नेता भागीरथ शर्मा ने कही।
बोकारो जिला (Bokaro district) सचिव भागीरथ शर्मा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमन्ना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हिमा कोहली के तीन सदस्यीय बेंच द्वारा दिए गये आदेश मे कहा गया है कि जबतक कोर्ट इस बर्बर धारा की समीक्षा पूरी नहीं करता है तबतक राजद्रोह के सभी मामलों में सुनवाई तत्काल रोकी जाये।
इस धारा के तहत जो भी जेल मे बंद हैं वे जमानत के लिए आवेदन दे सकते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें अब इस धारा में किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार (Central Government) के महाधिवक्ता की पूरी कोशिश थी की केंद्रीय सरकार द्वारा इस धारा की समीक्षा के नाम पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत ले ली जाये, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए स्वयं इस बर्बर कानून की समीक्षा करने का एलान किया है।
शर्मा ने कहा कि माकपा सुप्रीम कोर्ट के इस महान निर्णय का स्वागत करता है। क्योंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार मे बैठे सत्ताधारी लोकतंत्र की धज्जियां उडाते हुए अपने विरोधियों का दमन करने के लिए इस कानून का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग कर रहे थे।
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