अनुप नारायण सिंह/पटना(बिहार)। बिहार सरकार (Bihar Government) द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सात अभियंत्रण महाविद्यालय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित करने के उद्देश्य से अभियंत्रण महाविद्यालयों में 1376 सहायक प्राध्यापक सहित 3000 पदों पर नियमित नियुक्ति करेगी। उक्त जानकारी राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने 1 अप्रैल को प्रेसवार्ता कर दी।
विश्व बैंक संपोषित परियोजना तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम तृतीय चरण के अंतर्गत राष्ट्रीय परियोजना कार्यान्वयन एकक द्वारा चयनित एवं अस्थाई इंगेजमेंट के रूप में नियोजित सहायक प्राध्यापकों की सेवा को प्राप्त करने के लिए परियोजना समाप्ति की तिथि 31 मार्च 2021 के पश्चात पूर्व से जारी शर्त के अधीन 1 अप्रैल से 31 मार्च 2022 तक अथवा अभियंत्रण महाविद्यालयों के लिए सहायक अध्यापक के पद पर नियमित नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो राज्य योजना के अधीन पर योजना की अवधि विस्तार किए जाने हेतु अत्यंत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस आशय की जानकारी राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने पटना स्थित अपने विभागीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के माध्यम से दी।
मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि उक्त योजना अंतर्गत चयनित राज्य के सात अभियंत्रण महाविद्यालय यथा एमआईटी मुजफ्फरपुर, बीसीई भागलपुर, मोतिहारी अभियंत्रण महाविद्यालय, दरभंगा अभियंत्रण महाविद्यालय, गया अभियंत्रण महाविद्यालय, नालंदा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग चंडी एवं लोक नायक जयप्रकाश प्रौद्योगिकी संस्थान छपरा शामिल है। मंत्री ने कहा कि तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम पर योजना का मुख्य उद्देश्य है संस्थानों के प्रयोगशाला कार्यशाला पुस्तकालय आदि का आधुनिकीकरण किया जाना। संस्थानों की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर पर लाए जाने के लिए संचालित पाठ्यक्रमों का अनिवार्य एक्रीडिटेशन नेशनल बोर्ड आफ एक्रीडिटेशन से कराया जाना ताकि एक्रीडिटेशन के बाद संस्थानों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जा सके।
उक्त परियोजना से आच्छादित तीन संस्थानों एमआईटी मुजफ्फरपुर, बीसीई भागलपुर तथा नालंदा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग चंडी में एमटेक पाठ्यक्रम संचालित हो रहे हैं। तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम तृतीय चरण के लिए चयनित संस्थानों में मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा एवं राज्य सरकार द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू के आधार पर राष्ट्रीय परियोजना कार्यान्वयन एकक द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आवेदन प्राप्त कर अन्य राज्यों सहित बिहार राज्य के लिए 3 वर्ष अथवा परियोजना समाप्ति की तिथि जो भी पहले हो तक के लिए प्रतिमाह ₹70000 मानदेय गुणवत्ता के आधार पर 3 फ़ीसदी वार्षिक वृद्धि के साथ के आधार पर बिहार राज्य अंतर्गत अच्छादित सात अभियंत्रण महाविद्यालयों के लिए कुल 216 सहायक प्राध्यापक उपलब्ध कराया गया है। इनके मानदेय पर होने वाले शत प्रतिशत व्यय का वहन परियोजना अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा था। वर्तमान में इनमें से 198 सहायक अध्यापक कार्यरत है। 31 मार्च 2021 को समाप्त हो जाने के पश्चात राष्ट्रीय परियोजना कार्यान्वयन एकक द्वारा चयनित एवं अस्थाई इंगेजमेंट के रूप में कार्यरत 198 सहायक अध्यापकों की सेवा 31 मार्च 2022 तक अथवा अभियंत्रण महाविद्यालयों के लिए सहायक प्राध्यापक के स्वीकृत पद पर नियमित नियुक्ति होने तक जो भी पहले हो राज्य योजना के अधीन पर योजना की अवधि का विस्तार किया गया है। संप्रति इन शिक्षकों के मानदेय पर आने वाले कुल व्यय 1805.76 करोड़ ₹ का व्यय राज्य सरकार (State government) द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि उक्त शिक्षकों की सेवा जारी रखने के फलस्वरुप तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन कार्यक्रम तृतीय चरण में प्राप्त उपलब्धियों की निरंतरता आगे जारी रहेगी।
मंत्री सिंह ने बताया कि राज्य के अभियंत्रण महाविद्यालय में सहायक अध्यापक के रिक्त 1376 पद सहित लगभग 3000 पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए भी बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना प्रेषित है। नियमित नियुक्ति में भी इन शिक्षकों को प्रति वर्ष 5 अंक अधिकतम 25 अंक अधिमान्यता के रूप में दिए जाने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जा चुका है।
475 total views, 1 views today