एस. पी. सक्सेना/बोकारो। आस्था और विश्वास के साथ अपने अखंड सौभाग्य की कामना करती हुई बोकारो जिले में जगह जगह समूह बनाकर वट-वृक्ष के सम्मुख सुहागिनों ने 30 मई को वट सावित्री की पूजा की।
इस अवसर पर एक मात्र सुहाग (पति) की रक्षा की कामना को मन में धारण कर व्रतियों ने पूजनोपरान्त एक दूसरे को सिंदूर लगाकर एवं प्रसाद देकर अपनी खुशी का इजहार की।
वट सावित्री के अवसर पर व्रतियों के बीच पूजा करने व व्रत रखने का विधि विधान भले ही अलग अलग रहा हो, परंतु लक्ष्य और उद्देश्य एकमात्र रहा है अचल सौभाग्य की कामना।
इस संदर्भ में व्रतियों से पूछे जाने पर उनके द्वारा पूजा किए जाने एवं व्रत रखने की विधि विधान में थोड़ी बहुत भिन्नता व रीति रिवाज मे अंतर दिखा परंतु उद्देश्य सबों का एक ही बताया गया। कुछ व्रतियों ने पूजनोपरान्त पारण करने एवं भोजन करने की बात कही।
वहीं कुछ सुहागिनों ने पूजनोपरान्त 24 घंटे का उपवास रखने की बात कही। जबकि कुछ महिलाओं ने यह भी कहा कि व्रत के एक दिन पूर्व ही उपवास रखकर पूजा करने की परंपरा है।
जानकारी के अनुसार बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में पूजन स्थल पर कुछ कुछ जगहों पर जारंगडीह स्थित बनासो मंदिर के मुख्य पुजारी कपिल देव पांडेय और अपर बंगला मंदिर के पुजारी रिद्धि नाथ झा और मदन झा के द्वारा मंत्रोच्चारण कर पूजा करने कराने का विधान देखने को मिला।
जबकि कथारा में कई जगहों पर कथारा चार नंबर मंदिर के मुख्य पुजारी गुप्तेश्वर पांडेय सती सावित्री एवं सत्यवान के जीवन में घटित मृत्युदेव यमराज संवाद तथा प्राण दान की कथा प्रस्तुत किया गया।
वहीं कुछ कुछ स्थानों पर व्रतियों ने स्वयं पूजन करती हुई देखी गई। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह उनकी पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार है।
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