एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। नटराज कला मंदिर पटना ने स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में एक जून को कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सहयोग से मैथली शरण गुप्त की रचना पर आधारित यशोधरा नृत्य नाटिका का मंचन किया गया।
जानकारी देते हुए कलाकार साझा संघ के सचिव मनीष महीवाल ने बताया कि प्रस्तुत नृत्य नाटिका में स्त्री के त्याग के महत्व को दर्शाया गया है, जिसने अपने पुत्र का त्याग विश्व शांति हेतु बौद्ध धर्म में दिक्षित कर किया। बताया कि नाटक में पति सिद्धार्थ ज्ञान की प्राप्ति हेतु गृह त्याग करते है तो यशोधरा को दुःख होता है कि वह उससे कहकर क्यों नहीं गए। वह विश्व कल्याण हेतु अपने पति के मार्ग में कभी रोड़ा नहीं बनती। सखी वह मूझसे कहकर जाते…. स्वंय सुसज्जित करके क्षण में, प्रियतम को, प्राणों के पण में हमीं भेज देती हैं रण में।
नाटक में यशोधरा अपने पति और पुत्र दोनों का त्याग विश्व के कल्याण हेतु कर दी जो कि एक स्त्री के लिए सबसे प्रिय होता है। स्त्रीयाँ हमेशा से त्याग की परिचायक रही है। जब देशहित की बात आती है तो स्त्री अपने पति और पुत्र का त्याग करने से भी नहीं हिचकती। महीवाल ने बताया कि भगवान बुद्ध ने भी माना कि स्त्री महान होती है। वह बच्चों के लालन पालन से लेकर विश्व कल्याण हेतु सर्वस्व त्याग करती है। वरिष्ठ कत्थक नृत्यांगना अंजुला कुमारी के निर्देशन में इस नृत्य नाटिका को दर्शकों ने काफी सराहना की। सभी कलाकरों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।
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