एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। प्रकृतिका 2025 में 15 फरवरी को बिहार की राजधानी पटना के कमला नेहरु शिशु विद्यालय पाटलिपुत्र कॉलोनी में लोक पंच की प्रस्तुति किसानों के जीवन पर आधारित नाटक कातिल खेत का मंचन किया गया।
लेखक इश्तियाक अहमद एवं निर्देशक मनीष महिवाल के निर्देशन में नाटक का कथासार यह कि खेती और किसान पर लालच के कारण आए संकट को बड़ी ही खूबसूरती के साथ लिखा गया है। नाटक में बताया गया कि ज्यादा और बेहतर फसल की चाहत में आज देश भर में किसान रासायनिक खादों और कीटनाशक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।
रसायनिक खाद खेतों को बंजर बना रही है, तो कीटनाशक अनाज की जहरीला। इनके प्रयोग ने खेती किसानी को महँगा बना दिया है। नतीजन आज किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग और किसान से लेकर धरती को होने वाले नुकसान को इस नाटक में दिखाया गया।
प्रस्तुत नाटक कातिल खेत द्वारा यह बताया गया कि किस तरह से पारंपरिक तरीके से हजारों वर्ष से खेती करने वाला किसान खुशहाल था, लेकिन लालच में आकर जबसे उसने आधुनिकता के नाम पर रासायनिक खादों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, तब से खेती नुकसान का सौदा बन गई। आज इनके प्रयोग से जैव विविधता पर संकट आ गया और कई बीमारियों का कारण यह खाद और कीटनाशक बन रहें है। उक्त नाटक हास्य और व्यंग के जरिए इस विषयों पर जमकर प्रहार करती हैं।
लोक पंच पटना द्वारा प्रस्तुत नाटक कातिल खेत में प्रमुख कलाकारों में मनीष महिवाल, सोनल कुमारी, अरविंद कुमार, कृष्ण देव, रोहित चंद्र, प्रवीण सप्पू, अजीत कुमार, रजनीश पांडेय, अभिषेक राज तथा रोहित कुमार ने बेहतरीन अभिनय कला का प्रदर्शन किया।
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