एस. पी. सक्सेना/बोकारो। संस्कृत भारती बोकारो एवं राष्ट्रीय संस्कृत प्रसार परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में 31 जुलाई को क्रिसेन्ट पब्लिक स्कूल सेक्टर-6 सभागार में संस्कृत श्लोक पाठ एवं संस्कृत भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घघाटन एस. एस. संस्कृत महाविद्यालय भोजपुर (बिहार) के प्राचार्य डॉ सुरेश पांडेय, पूर्व अधिशासी निदेशक सेल तथा अध्यक्ष संस्कृत भारती बोकारो के कमल कांत जैन एवं संस्कृत भारती बोकारो के मंत्री राम वचन सिंह द्वारा संयुक्त रुप से सरस्वती माता के चित्र के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन किया गया।
इस अवसर पर संस्था के मंत्री राम वचन सिंह ने सभी अतिथियों, कार्यकर्त्ताओं, छात्र -छात्राओं, अध्यापकों एवं अभिभावकों का स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए संस्कृत भारती बोकारो के क्रिया-कलापों एवं गतिविधियों का वृत निवेदन प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि डॉ सुरेश पांडेय ने वर्तमान समय में संस्कृत का महत्व एवं उपयोगिता पर वृहद् रुप से प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत भारत का प्राण भाषा है। भारत की संस्कृति एवं बच्चों का संस्कार संस्कृत भाषा में ही सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि विश्व में संस्कृत भाषा के कारण हम सब की पहचान, हमारी संस्कृति एवं संस्कारों से जुड़ी हुई है।
इस अवसर पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में बोकारो जिले के सभी निजी एवं सरकारी विद्यालयों के प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं के छात्र – छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में छात्रों के साथ अभिभावक, सभी विद्यालयों के अध्यापक-अध्यापिकायें, समिति के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थे।
प्रतियोगिताओं के निर्णायक मंडली में डॉ आत्मानन्द सिंह, रंजन पांडेय, गोपाल कृष्ण दूबे, उदित पांडेय, मीरा शर्मा, माला झा, सुनीता, मुरली कृष्ण झा, डॉ विनय कुमार पांडेय, सुब्रतो गोप, सुप्रिया आर्यवंशी, सुलोचना साहु, डॉ वृजेश त्रिपाठी, दुर्गेश नन्दिनी, अघनु गोराई एवं मितेश्वर पांडेय उपस्थित थे।
आयोजित प्रतियोगिता में 503 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। कार्यक्रम में बच्चों द्वारा मनमोहक श्लोक पाठ का सस्वर पाठन से सम्पूर्ण बोकारो का वातावरण संस्कृतमय एवं संगीतमय हो गया। मंच का संचालन डॉ श्रीहरि पांडेय एवं विनय कुमार पांडेय ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कृष्णा प्रसाद, शनि कुमार, पंकज कुमार एवं अन्य कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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