मुंबई। भारत के रेल की पटरियों पर बुलेट ट्रेन तो पता नहीं कब दौड़ेगी परंतु पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से नई दिल्ली (New Delhi) से आगरा (Agra) के बीच गतिमान एक्सप्रेस (Gatiman Express) नाम की जो ट्रेन सरपट रफ़्तार से दौड़ रही है, उसे किसी बुलेट ट्रेन के ट्रेलर के तौर पर देखा जा रहा है।
भारत की यह पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन दिल्ली से आगरा के बीच 188 किमी की दूरी महज 100 मिनट में तय कर लेती है। जिसके बारे में आज से कुछ साल पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। अगर आज ऐसा संभव हो सका है तो सिर्फ इसलिए कि रेल के आला अधिकारियों ने अपनी दूरदर्शिता दिखाई और इस सपने को साकार करने की ठान ली। यह उनके समर्पण और सटीक कार्यान्वयन का ही परिणाम है कि 1 वर्ष से ही कम समय में इस ट्रेन का नाम भारत के कुछ चुनिंदा ट्रेनों में शुमार हो गया है।
इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें रेल मुसाफिरों की सुख सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है, और इसी वजह से यह भारत की पहली ऐसी ट्रेन बन गई है जिसमें एयरहोस्टेस की तर्ज पर ट्रेन होस्टेस को रेल मुसाफिरों की मेहमान नवाजी के लिए नियुक्त किया गया है। जैसे ही ट्रेन रवाना होती है मुसाफिरों का स्वागत ट्रेन होस्टेस गुलाब का फूल देकर करती हैं। एक मतर्बा जब कोई रेल का मुसाफिर इस ट्रेन में पहली बार सफर करता है तो उसे किसी विमान में बैठे होने का भ्रम पैदा हो जाता है।
अगर इस ट्रेन में उपलब्ध होने वाली सुख सुविधाओं की बात करें तो यात्रियों को 100 मिनट के सफर के दौरान मल्टीमीडिया कंटेंट जैसे की मूवीज, न्यूज के अलावा शानदार और लजीज डिशेज भी परोसे जाते हैं। 100 मिनट का यह सफर कब और कैसे कट जाता है पता ही नहीं चलता। इससे पहले दिल्ली से आगरा की दूरी तय करने में यात्रियों को कम से कम तीन घंटे लग जाते थे। उसकी तुलना अगर गतिमान एक्सप्रेस से किया जाए तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं मालूम पड़ता।
पिछले दिनों रेलमंत्री सुरेश प्रभु की पहल पर मुंबई के पत्रकारों को नई दिल्ली आमंत्रित किया गया और उन्हें गतिमान एक्सप्रेस की गति को परखने का मौका दिया गया। पत्रकारों ने पाया कि यह गतिमान एक्सप्रेस अपने संपूर्ण मानदंडों पर खरा उतरती है। साथ ही साथ ऐसे ही कुछ और ट्रेन विशिष्ट शहरों के बीच चलाये जाने की जरुरत भी बताई।
सिर्फ यात्री ही नहीं, रेलवे भी गतिमान एक्सप्रेस के इस नये प्रयोग से काफी उत्साहित है और जिस तरह से यात्रियों ने इस ट्रेन को हाथो हाथ लपक लिया है उससे रेल के आला अधिकारियों को काफी संबल मिला है। देश की इस पहली ट्रेन में जिसमें ट्रेन होस्टेस तैनात की गई हैं उनका भी अपना अनुभव इस बारे में काफी उत्साहजनक रहा है।
दिव्या नाम की एक ट्रेन होस्टेस ने बताया कि, जब भी यात्रियों को एक मुस्कान के साथ उनकी सेवा की जाती है और बदले में यात्री भी एक मुस्कान के साथ उनकी सेवा कबूल करते हैं तो यही उनकी सबसे बड़ी खुशी होती है। दिव्या ने बताया कि अमूमन सभी यात्री काफी शालीनता से पेश आते हैं, और आने वाले दिनों में ऐसी कई ट्रेनें चलेंगी जिनमें ट्रेन होस्टेस की नियुक्ति होगी और इस दिशा में करियर बनाने वाली नई युवा ब्रिगेड को एक अतिरिक्त अवसर मिलेगा।
मध्य रेल के जनसंपर्क विभाग ने मुंबई के पत्रकारों की टीम को दिल्ली भ्रमण पर ले जाने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। जनसंपर्क विभाग के मुख्य अधिकारी सुनील उदासी, सीनियर पीआरओ के. जैन और पीआरओ वी. चंद्रशेखर के अलावा जनसंपर्क विभाग के अन्य अधिकारियों ने इस ऐतिहासिक टूर को सफलता पूर्वक संपन्न कराया। मध्य और पश्चिम रेल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब पत्रकारों के एक भारी भरकम टीम को अपनी जोन से बाहर आउट स्टेशन चार दिन के विजिट का आयोजन किया गया।
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