प्रहरी संवाददाता/ रांची (झारखंड)। मेरी तमन्ना थी की काश मैं भी यूपीएससी की फेहरिश्त में होती, हमारी बातें ईश्वर ने सुन ली। यह सच है कि वर्ष 2013 मेरे लिये काफी लक्की रहा, इतना ही नहीं यह मेरा सौभाग्य भी है कि जहां मेरा जन्म हुआ, अब मैं वहीं की उप जिलाधिकारी (कलेक्टर) हूं, ऐसा आईएएस अधिकारी बनी श्रीमती दीपमाला गुप्ता का कहना है। उन्होंने कहा की मंजिल पाने के लिये हौसले की जरूरत होती है, अपने सपनों को साकार करन के लिये हमने मेहनत कर मंजिल हासिल की है। हालांकि इस दौरान काफी उतार चढ़ाव आऐ लेकिन मैंने अपना इरादा नहीं बदला। दीपमाला का कहना है कि इंसान का इरादा पक्का हो तो मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं।
यूपीएससी (युनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) परीक्षा- 2013 में पास कर आईएएस अधिकारी बनी श्रीमती दीपमाला गुप्ता ने अपनी मेहनत के बल पर अपना सही मुकाम हासिल कर ही लिया। इससे उनके परिवार सहित समाज के लोगों में खुशी का माहौल है। झारखंड की राजधानी रांची के अनगड़ा में सीओ के पद पर कार्यरत श्रीमती दीपमाला ने बताया की वर्ष 2007 से वह यूपीएससी कम्पलीट करने का प्रयास कर रही थी। लेकिन उन्हें इस परीक्षा में पांच वे प्रयास के बाद वर्ष 2013 में सफलता हासिल हुई। इससे पहले वे दो बार इंटरव्यू दे चुकी थीं। इस बीच 2013 में उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में जेपीएससी (झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन) परीक्षा पास कर डिप्टी कलेवटर बन गई।
हालांकि इससे पहले उन्होंने सीओ के रूप में योगदान दिया है। बता दें कि सरकारी सेवक में होते हुए भी श्रीमती दीपमाला ने अपनी पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया, इसका नतीजा सपनों को साकार करने के रूप में आया है। उन्होंने बताया की जिस दिन यूपीएससी का रिजल्ट आया उस दिन मेरा बेटा बहूत खुश था। हालांकि इस खुशी को सबसे पहले मैंने अपने बेटे विशेष से शेयर किया था। उस दिन बेटे ने कहा था कि मैं भी आप की तरह आईएएस अफसर बनूंगा। बताता चलूं की श्रीमती दीपमाला का बेटा विशेष गुप्ता सरला बिरला स्कूल में पांचवी का छात्र है। उनके पिता सदन प्रसाद गुप्ता बिजनेस मैन हैं, जबकि मां सुधा गुप्ता एलबीएस स्कूल की डायरेक्टर है।
एक सवाल के जवाब में श्रीमती दीपमाला ने कहा कि मैं रिश्वतखोरी के खिलाफ विशेष अभियान चलाने का फैसला किया है। हालांकि सीओ के पद पर रहने के दौरान मैंने रिश्तखोर अधिकारियों की नकेल कसी थी। वयोंकि उनके आस पास दलालों का जमघट रहता है। जो सीधे- सादे लोगों को फंसकर उनसे पैसा ऐंठते हैं। ऐसे दलालों को मैं कतई पसंद नहीं। हालांकि यह सच है कि इन दलालों से सरकारी अधिकारियों की सांठ-गांठ रहती है, जो फाइलों को दबा कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। ऐसे दलालों से लोगों को निजात दिलाने की कोशिश करूंगी। मैं झारखंड में ही पोस्टिंग चाहती हूं, ताकि यहां की जनता के लिए कुछ कर सकूं। इस बार भी ईश्वर ने मेरी सुन ली यानी झारखंड के बजाए जहां मेरा जन्म हुआ था उसी शहर में अब मैं उप जिलाधिकारी के पद पर हूं।
- श्रीमती दीपमाला की मां सुधा गुप्ता का कहना है कि मैंने कभी अपने बेटों व बेटी में फर्क नहीं समझा। यदि मैने बेटी के साथ भेदभाव किया होता तो आज मैं एक आईएएस की मां नहीं होता। 17 अप्रैल को अनु (घर का नाम) ने जब यह जानकारी दी तो खुशी से हमारी आंखे छलक आई।
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