सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। एक तरफ शिक्षा का बाजारीकरण शहर से लेकर गांव तक के स्कूलों का किया जा रहा है। बच्चों के अभिभावकों पर शिक्षा के नाम पर तरह तरह का फीस का बोझ डाला जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में नक्सल प्रभावित सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में निवास करने वाले अत्यंत गरीब बच्चों में शिक्षा का दीप जलाने का कार्य समाजसेवी संतोष पंडा कर रहे हैं।
समाजसेवी संतोष पंडा ने सारंडा के कलैता, धर्नादिरी एवं हिल्टॉप में तीन अंग्रेजी माध्यम का शिशु विकास नर्सरी स्कूल खोला हैं। उनके द्वारा कलैता व धर्नादिरी में बच्चों को खुले आसमान व पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है। क्योंकि यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए अतिरिक्त कोई घर अथवा कमरा नहीं है।
तीनों स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी एवं यूकेजी की निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। ढ़ाई वर्ष से लेकर छः वर्ष तक के बच्चे यहां पढ़ते हैं। पंडा के अनुसार कलैता स्कूल में 35, धर्नादिरी में 45 एवं हिल्टॉप में 25 बच्चे पढ़ते हैं। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को निःशुल्क शिक्षा, ड्रेस एवं शिक्षा सामग्री दी जाती है। बच्चों को गांव के हीं पढे़ लिखे युवक-युवतियां पढ़ाते है। समाजसेवी संतोष पंडा इन्हें मानदेय भी देते हैं।
ऐसे सुदूरवर्ती गांवों में प्रारम्भिक शिक्षा के लिए स्कूल नहीं होने से बच्चों को परेशानी हो रही थी। इस समस्या को दूर करने के लिए संतोष पंडा ने हिल्टॉप में पांच वर्ष पूर्व एक स्कूल खोला। उसके बाद दो वर्ष पहले कलैता में और अब धर्नादिरी में स्कूल खोला।
पंडा द्वारा संचालित सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों में उक्त स्कूलों को देखने बीते 5 मई को किरीबुरु पश्चिम पंचायत की मुखिया पार्वती किड़ो, मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत की मुखिया लिपि मुंडा, मेघाहातुबुरु दक्षिणी पंचायत की मुखिया प्रफुल्लीत ग्लोरिया तोपनो एवं पंचायत सेवक ज्योतिष लागुरी को स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे।
बच्चों को घने जंगलों में पेड़ के नीचे पढ़ते देख सभी काफी प्रभावित हुये। संतोष पंडा के इस प्रयास व कार्य की सभी ने सराहना की। सभी ने कहा कि आज के समय में शिक्षा काफी महंगी होती जा रही है। गरीब बच्चों व उनके अभिभावकों को परेशानी खड़ी हो गई है।
ऐसे में यह स्कूल गरीब बच्चों व उनके अभिभावकों के लिये वरदान साबित हो रहा है। ऐसे स्कूलों को सरकारी सहायता प्राप्त कराया जाना चाहिए, ताकि संचालक प्रोत्साहित होकर आगे और स्कूलों का संचालन कर सके। मौके पर उपरोक्त के अलावा पतरस बिरूली, मसीह मुंडू, उषा मुंडू, लाको तिडू, श्रीराम ओराम, मानी पूर्ति आदि मौजूद थे।
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