सरहुल व झूमर गीतों से रात भर गुंजायमान रहा मंजूरा

कुड़माली शिल्पी गोबिंद, अंजना व् बिहारी लाल के कुड़मालि गीतों रातभर झूमे श्रोता

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में कसमार प्रखंड के मंजूरा गांव में बीते 18 अप्रैल को सरहुल पूजा के उपरांत रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विभिन्न झारखंड की संस्कृति पर आधारित लोक गीतों पर रातभर झूमते रहे श्रोतागण।

आदिवासी कुड़मी समाज मंजूरा द्वारा रात्रि में आयोजित रंगारंग कुड़माली झूमर एवं ‌‌पांता नाच कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध कुड़माली शिल्पी गोविंदलाल महतो, अंजना महतो एवं बिहारी लाल महतो द्वारा एक से बढ़कर एक कुड़माली झूमर एवं अन्य गीत की प्रस्तुति की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत आखड़ा वंदना के साथ की गई। इसके बाद एक से बढ़कर एक कुड़मालि गीतों व पांता नाच का आंनद रहिवासी दूसरे दिन 18 अप्रैल की सुबह तक लेते रहे।
इस अवसर पर पहुंचे कुड़मि कुड़माली पुनर्जागरण अभियान के विशेषज्ञ दीपक पुनअरिआर ने कहा कि कुड़मी जाति नहीं विशुद्ध रूप से जनजाति है। जिसकी अपनी आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति व भौगोलिक अलगाव का क्षेत्र है।

इनकी अपनी भाषा, संस्कृति, परब-त्यौहार, देवाभूता हैं। जन्म, बिहा एवं मृत्यु संस्कार के अपने नेग-नियम है। जो किसी हिंदू वैदिक संस्कृति सहित अन्य सभी धर्म संस्कृति से पूर्णतया भिन्न है। उन्होंने कहा कि अपनी विशिष्ट संस्कृति को पुनर्जीवित करने की जरूरत है, तभी कुड़मी जनजाति की पहचान सुरक्षित रहेगा।

संजय पुनअरिआर ने कहा कि सरकारी दस्तावेज एवं हमारी विशिष्ट जनजातीय लक्षण बता रही हैं कि कुड़मी जाति नहीं जनजाति है, लेकिन सरकार इन सब के बावजूद भी कुड़मी को जनजाति की सूची में शामिल नहीं कर रही है। इसके लिए और संघर्ष करने की जरूरत है। इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में गोमिया के पूर्व विधायक डॉ लंबोदर महतो, जेएलकेएम नेत्री पूजा महतो, जिप सदस्य अमरदीप महाराज, स्थानीय मुखिया ममता देवी शामिल हुए।

मौके पर उमाचरण गुलिआर, टुपकेश्वर केसरिआर, मिथिलेश केटियार, प्रवीण केसरिआर, सहदेव टिडुआर, पियूष बंसरिआर, महावीर गुलिआर, ज्ञानी गुलिआर, भागीरथ बंसरिआर, मुरली जालबानुआर, सुभाष हिन्दइआर, सुलचंद गुलिआर, उमेश केसरिआर, अखिलेश केसरिआर, अमरनाथ गुलिआर, सदानंद गुलिआर, लखीकांत केसरिआर, विश्वनाथ केसरिआर, शैलेश केसरिआर, दिलीप केसरिआर, निरंजन केसरिआर, धनेश्वर जालबानुआर, तेजू केसरिआर, कमल जालबानुआर, दुर्गा पुनअरिआर, द्वारिका केसरिआर, कुलेश्वर केसरिआर, लालमोहन गुलिआर, निरंजन केसरिआर, बिंदेश्वर पुनुरिआर, मुरली पुनरिआर समेत कई अन्य रहिवासी मौजूद थे।
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