विजय कुमार मिश्र रास/रांची (झारखंड)। प्रारंभ से अब तक हिंदू महासभा की देन है कि अयोध्या में हिंदू आस्था के प्रतीक भगवान श्रीराम का मंदिर बन रहा है। ढिंढोरा चाहे कोई पीट ले वास्तविकता को झुठ्लाया नहीं जा सकता है।
राम लला विराजमान 22-23 दिसंबर 1949। अयोध्या के आसपास यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई कि श्रीराम मंदिर गर्भ गृह में रामलला प्रकट हो चुके हैं। तब देश के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे और गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल।
उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव भगवान सहाय ने फैजाबाद जिला उपायुक्त (District Deputy commissioner) केके नायर को आदेश दिया की अयोध्या में पूर्व की स्थिति बहाल की जाए, यानी राम लला मूर्ति को विवादित बाबरी मस्जिद से निकाल बाहर किया जाए।
उस समय अयोध्या के एसएचओ राम दुबे ने 147/448/295 भारतीय दंड संहिता के तहत एफआईआर दर्ज किया। घटना का जिक्र लिखा जिसमें 50, 60 लोग अंधेरे में ताला तोड़कर घुस गए और उन्होंने रामलला की मूर्ति को स्थापित कर दिया।
एसएचओ राम दुबे ने हिंदू महासभा के अयोध्या नगर अध्यक्ष गोपाल विरासद को गिरफ्तार कर दबाव बनाना शुरू किया की 50-60 लोग जो हिंदू महासभा के थे इसका नाम और पता बताया जाए। इस घटना में महंत दिग्विजय नाथ का भी नाम आया था, जो हिंदू महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थे।
के के नायर पर दोबारा दबाव बनाया गया कि अयोध्या में पूर्व की स्थिति बहाल की जाए।
के के नायर ने इस्तीफा दे दिया और सरकार को सलाह दी कि अगर रामलला मूर्ति को वहां से निकाला गया तो अयोध्या के आसपास भयंकर रक्तपात होने की उम्मीद है। इस्तीफे के बाद के के नायर ने वकालत शुरू कर दिया। उनकी पत्नी शकुंतला नायर हिंदू महासभा के सदस्य बन गई।
सन 1952 के संसदीय चुनाव में शकुंतला नायक जो हिंदू महासभा के टिकट से चुनाव लड़ रही थी, उन्होंने गोंडा पश्चिम सीट से कांग्रेस उम्मीदवार लाल बिहारी टंडन को भारी मतों से पराजित किया। शकुंतला नायर पहली लोकसभा में हिंदू महासभा की एकमात्र सांसद थी।
कांग्रेस सहित अन्य दलों ने अचानक प्रकट हुए राम लला विराजमान की घोर निंदा की। इस घटना से संबंधित सबसे दु:खद विषय यह था कि आरएसएस प्रमुख गुरु गोलवलकर ने सामाजिक एकता बिगाड़ने का आरोप हिंदू महासभा पर लगाकर, तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को सभी आरोपियों को कठोर दंड देने की मांग तक कर डाली।
जो लोग यह कहते हैं की राम मंदिर भाजपा और आरएसएस के सहयोग से बन रहा है उसका सच्ची इतिहास को पढ़ें, समझें और उसके बाद चर्चा करें।
नेहरू ने बामपंथियों के सहयोग से देश का झूठा इतिहास लिखवाया तो वहीं भारतीय जनता पार्टी वामपंथियों के माध्यम से पुनः राम मंदिर के इतिहास को अपने सुविधानुसार लिखवा रहे हैं, ताकि हिंदुओं को अज्ञानी बनाकर हिंदुओं का वोट हासिल कर सके।
[अखिल भारत हिंदू महासभा झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष हैं।]
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