बिहार आर्ट थियेटर के संस्थापक के जन्मदिन पर सात दिवसीय नाट्योत्सव

आगामी 14 से 20 जनवरी तक अनिल कुमार मुखर्जी की 105वीं जयन्ती-सह-30वाॅं पटना थियेटर फेस्टिवल
एस.पी.सक्सेना/पटना(बिहार)। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी बिहार (Bihar) थियेटर के संस्थापक स्व अनिल कुमार मुखर्जी (Anil kumar mukherjee)  के जन्मदिन 14 जनवरी के अवसर पर सात दिवसीय नाट्योत्सव का आयोजन करने जा रहा है। कला, नाटकों को समाज का आईना बताने वाले स्व मुखर्जी बिहार नाट्य आन्दोलन के मुखिया थे। ऐसा कहने में कोई संदेह नहीं।
नाट्योत्सव के कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए अध्यक्ष आर एन दास, उपाध्यक्ष-सह-अध्यक्ष आयोजन समिति डाॅ निहोरा प्रसाद यादव एवं सचिव कुमार अभिषेक रंजन ने 11 जनवरी को उपस्थित पत्रकारों को बताया कि वर्ष 1961 में बिहार आर्ट थियेटर की स्थापना के बाद निरन्तर नाटकों का लेखन, निर्देशन एवं मंचन के लिये प्रयासरत रहे स्व मुखर्जी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने एवं नाट्य आन्दोलन को एक नयी दिशा प्रदान करने के लिये इस नाट्योत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है।
नाट्योत्सव के संयोजक अरूण कुमार सिन्हा ने कहा कि देश के कलाकारों में नयी उर्जा भरने तथा नाट्य आन्दोलन को गति देने के लिये बिहार आर्ट थियेटर प्रत्येक वर्ष दो प्रतिष्ठित कलाकारों (एक महिला तथा एक पुरूष) को अनिल कुमार मुखर्जी शिखर सम्मान दे कर वर्षो से राज्य के कलाकारों का मनोबल बढ़ाने का कार्य कर रहा है। अपर सचिव गुप्तेश्वर कुमार के अनुसार वर्ष 1991 में अनिल कुमार मुखर्जी के निधन के बाद वर्ष 1992 से उनकी स्मृति में इस नाट्योत्सव का आयोजन पटना थियेटर फेस्टिवल के नाम से सफलतापूर्वक किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देष्य राज्य के सुदूर इलाकों में सक्रिय नाट्य संस्थाओं को मंच उपलब्ध करा कर उन्हें प्रोत्साहित करना है। नाट्योत्सव में प्रदान किये जाने वाले शिखर सम्मान ने राज्य एवं इसके बाहर के कलाकरों की पहचान स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है।
कलाकार प्रदीप गांगुली, मनीष महिवाल एवं सुमन सौरभ ने बताया कि सात दिनों तक चलने वाले इस नाट्योत्सव में पटना की नाट्य संस्थाओं के अलावा बाहर की संस्था को शामिल करने का मुख्य उद्देश्य ग्रामिण क्षेत्रों के कलाकारों एवं नाट्य संस्थाओं को मजबूती प्रदान करने, उन्हें मंच साझा करने एवं पटना रंगमंच से जोड़ना है। पटना के दर्शकों को 14 से 20 जनवरी तक आयोजित होने वाले इस नाट्योत्सव में समाज का विभिन्न रंग देखने को मिलेगा।

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