रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर 31 मई को स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान द्वारा बोकारो के सेक्टर 3 ई स्थित पर्यावरण-मित्र आश्रम में तंबाकू के विरुद्ध जनजागरण संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रघुवर प्रसाद तथा संचालन नशामुक्ति अभियान के संयोजक लक्ष्मण शर्मा ने किया।
इस अवसर पर संस्थान के महासचिव शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’ ने उपस्थित पर्यावरण प्रेमियों एवं प्रबुद्ध जनों को संबोधित करते हुए कहा कि तंबाकू सेवन से अनेक लाइलाज घातक जानलेवा बीमारियां हो रही हैं, जिससे इससे ग्रसित असमय ही काल के गाल में समा रहे हैं।
मुकुल ने कहा कि बीड़ी, सिगरेट, गांजा तथा ऐसे मादक द्रव्य जिनमें तंबाकू की मात्रा है का धुंआ न सिर्फ इसके सेवन करने वालों को ही नुकसान करता है, बल्कि आसपास के रहिवासी भी सांस द्वारा इसे ग्रहण करते हैं। वे भी इसके भयानक दुष्प्रभाव के लपेटे में आकर सांस संबंधी बीमारियों और फेफड़े के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पलने वाले बच्चों और छोटे बच्चों पर तो तंबाकू जहर के समान घातक असर डालता है। कहा कि इसके दुष्प्रभाव से मंद बुद्धि बच्चे पैदा होने लगे हैं। तंबाकू के सेवन से पुरुषों और महिलाओं में नपुंसकता बढ़ रही है। साथ ही समाज में अनिद्रा और चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार गुटखा और तंबाकू के सेवन से देश में हर साल गले के कैंसर, किडनी खराबी, फेफड़े के कैंसर, आंतों के सड़ने के कारण कई लाख आम व् खास की दर्दनाक मौत हो रही है। इसके अलावा लाखों जन दमा, हृदय रोग सहित अनेक तरह के लाइलाज सांस संबंधी रोगों से ग्रसित हो रहे हैं।
नौजवानों और अब तो बच्चों को भी कुछ संगठित गिरोह इस प्रकार के नशा का आदि बनाने में लगे हुए हैं, जो समाज और राष्ट्र दोनों के लिए ही घातक है। कहा कि सरकार को चाहिए कि ऐसे संगठित गिरोहों के विरुद्ध कठोर दण्ड का प्रावधान करे तथा जनमानस को इस नशे से बचाव हेतु कारगर जन जागरण अभियान चलाकर इससे बचाव का उपाय सुझाए।
मुकूल ने कहा कि गुटखा जैसे घातक पदार्थों के उत्पादन पर सख्त रोक लगे। सरकार द्वारा धूम्रपान को पूर्ण प्रतिबंधित किया जाय। कहा कि इससे मिलने वाले टैक्स से कई गुणा अधिक खर्च सरकार और आमजन को इससे होने वाली बीमारियों के इलाज पर करना पड़ता है। फिर भी तंबाकू के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाना सोंच से परे है ।
संगोष्ठी में शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’, रघुवर प्रसाद, अखिलेश ओझा, लक्ष्मण शर्मा, ललित प्रसाद, प्रभुनाथ चौधरी, नीरज कुमार, अभय कुमार गोलू, उमेश शर्मा सहित अनेक पर्यावरण रक्षक मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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