देशज अभिक्रम द्वारा वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर विचार गोष्ठी

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। गैर सरकारी संस्था देशज अभिक्रम के सौजन्य से 28 जनवरी को बोकारो जिला परिषद भवन सभागार में वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव विद्यालय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मुख्य रूप से बोकारो के सिविल सर्जन, बीएसएल के सेवानिवृत महाप्रबंधक सहित दर्जनों पर्यावरणवीद व् स्वयंसेवी संस्था के प्रमुख ने अपने-अपने विचार व्यक्त कर वायु प्रदूषण के कुप्रभाव तथा इससे बचाव के उपायों पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर सर्वप्रथम मुख्य अतिथि जिला सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण ने दीप प्रज्वलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया। वहीं उपस्थित पर्यावरण सखी सुशीला देवी, दिलमाला देवी, सीता देवी, रेखा दुबे, ज्योति कुमारी द्वारा मुख्य अतिथि व् अन्य अतिथियों को पुष्प वृक्ष देकर स्वागत किया गया।

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण ने कहा कि अपने घर तथा आसपास प्रदूषण न फैलने दें। प्लास्टिक का प्रयोग न कर झोला तथा बर्तन में हीं सामग्री को लें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक की कमी है, इसलिए वहां जीएनएम को अपग्रेड किया गया है। ताकि चिकित्सक की कमी को काफी हद तक दुर कर मरीजों की देखभाल तथा आवश्यक इलाज ससमय संभव हो सके। आप उनका लाभ जरुर लें। उन्होंने कहा कि जिले के अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्र व् उपकेंद्रों में दवा की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि आज पुरा देश स्तर पर दवा की कमी है।

देशज अभिक्रम के निदेशक शेखर ने कहा कि वायु प्रदूषण के मामले में झारखंड का बोकारो जिला की स्थिति धनबाद जिला से भी बदतर है। इसे जांचने के लिए बोकारो जिला में 26 टीम द्वारा खासकर भीड़ भाड़ वाला इलाका में सर्वेक्षण कराया गया। एफजीडी सर्वेक्षण में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) स्तर काफी अधिक पाया गया, जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के मानक से काफी अधिक है। इसके फैक्ट फाइडिंग के लिए प्रभावित क्षेत्रो के रहिवासियों व् स्थानीय अधिकारियों के साथ देशज अभिक्रम के सखी मंडलो द्वारा जन सुनवाई आयोजित कर जागरूकता के लिए कार्य करना शुरु कर दिया गया है। ताकि, बढ़ते वायु प्रदूषण को कमतर किया जा सके।

बीएसएल बोकारो के सेवानिवृत महाप्रबंधक अंजनी कुमार सिन्हा ने कहा कि अगर इंसान के लंग्स में समुचित मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंचे तब माईटोकॉन्डरिया पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि शायद हीं आज किसी के घर में देशी गाय है। देशी गाय के गोबर से जो खाद्य तैयार होता है उससे हम काफी हद तक प्रदूषण पर काबू पा सकते है। उन्होंने कहा कि सहजन (सुटी) का वृक्ष तथा उसके तना, पत्ती व् फल स्वास्थ्य व् पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सभी को करना चाहिए, और यह वृक्ष जरुर लगाना चाहिए।

बोकारो के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) दीपक कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा पर्यावरण की रोकथाम के लिए काफी प्रयास किया जाता है, लेकिन उपयोग कर्ता द्वारा आर्थिक समस्या व् जागरूकता के अभाव में उसका सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जिसमें घरेलू गैस व् शौचालय आदि शामिल है। कहा कि आज भी कई घरों में गैस के जगह पर लकड़ी तथा कोयले का उपयोग किया जाता है जिससे वायु प्रदूषण फैलता है। वहीं आज भी अधिकांश जन खुले में शौच करते है। इसपर भी जागरूकता की आवश्यकता है।

चिकित्सक डॉ अरबिंद कुमार ने कहा कि शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रो में वायु प्रदूषण अधिक है। वायु प्रदूषण पर यदि रोक नहीं लगाया गया तो आनेवाले समय में अस्पतालों में इलाज संभव नहीं हो पायेगा। वायु प्रदूषण से बच्चों में बंक्रो निमोनिया के अलावा ब्रोँकाइटिस, कैंसर आदि गंभीर बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसकी रोकथाम की पहल ग्रामीण स्तर से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिकता के दौड़ में वृक्षों की कटाई बेतरतीब हो रहा है।

इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। जिला परिषद अध्यक्षा सुनीता देवी ने वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिला स्तर पर सहयोग का आश्वासन दिया। साथ हीं कहा कि एक पेड़ काटने से पहले कम से कम 5 पेड़ अवश्य लगाएं। बेरमो प्रखंड प्रमुख गिरिजा देवी ने कहा कि देशज अभिक्रम की पर्यावरण सखी मंडलो द्वारा वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयास तथा सतत जागरूकता सच में सराहनीय है। उन्होंने कहा कि बेरमो कोयलांचल में प्रदूषण का स्तर इस कदर गंभीर है कि वहां के वृक्ष व् उसकी पत्तीयां भी धुलकण के कारण काली हो गयी है।

वहां बेतरतीब डंपरों के संचालन से घर के भीतर भी कोई प्रदूषण से सुरक्षित नहीं है। कहा कि सीसीएल प्रबंधन केवल सीएसआर में खर्च दिखाकर वाहवाही लेने का काम कर रही है। प्रबंधन को रहिवासियों के जीवन तथा स्वास्थ्य से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि बेरमो की जनता की शराब से कम और प्रदूषण से अधिक मौते होती है।

पर्यावरणवीद शशिभूषण ओझा मुकूल ने कहा कि अंधानुकरण विनाशक होता है। ऐसे विकास को बंद करना हीं बेहतर है। उन्होंने कहा कि नेतृत्वकर्ता अकेले हीं चलता है, कारवां बनता जाता है। हम पेड़ को नहीं अपने जीवन को काटते है। कहा कि एक इंसान एक दिन में कम से कम एक सिलिंडर ऑक्सीजन का सेवन करता है। जो हमें वृक्षों के माध्यम से प्रकृति से मिलता है।

एक सिलिंडर यदि ₹300 में मिलता है तो यदि एक परिवार में 5 सदस्य है तो वह परिवार एक माह में कम से कम ₹45 हजार का ऑक्सीजन का सेवन करता है। उसके बदल हम प्रकृति प्रदत्त वृक्ष की सेवा भी नहीं करते है। कहा कि आज पेड़ लगाने से ज्यादा पेड़ को बचाना जरूरी है। हमने बेरमो को जीने दो और कड़ाहता धनबाद अभियान शुरु किया है। इस अभियान से सभी को जुड़ने की जरूरत है।

के. बी. कॉलेज बेरमो के एनएसएस कार्यक्रम प्रभारी डॉ प्रभाकर कुमार ने कहा कि अपने रोजमर्रा जीवन में पेड़ लगाने तथा इसके लिए सभी को प्रेरित करने की जरूरत है। कोई भी कार्यक्रम हो वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की कमी का दंश कोरोना काल में देश ने झेला है, इसलिए इसकी कमी को दुर करने तथा वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए वृक्ष लगाना जरूरी है। कहा कि हम क्या करें कि वायु प्रदूषण कम हो। इसका लगातार चिंतन करने की जरूरत है। इसकी रोकथाम के लिए आज सोशल मीडिया का उपयोग जरूरी है।

यहां संचालन कर रहें दामोदर बचाओ आंदोलन के गुलाब प्रजापति, स्वयंसेवी संस्था के निदेशक प्रीतरंजन, सहयोगिनी के निदेशक गौतम सागर, सचिव कल्याणी सागर, प्रदान की पियूष मई, देशज अभिक्रम की पर्यावरण सखी ज्योति कुमारी, बेरमो की कुरपनिया रहिवासी अनीता सकूजा आदि ने भी वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर विचार व्यक्त किया। धन्यवाद ज्ञापन ज्योति कुमारी ने किया।

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