मिनी रत्न से सम्मानित आर सी एफ एल की लापरवाही
मुश्ताक खान/ मुंबई। देश की बहूराष्ट्रीय मिनी रत्न से सम्मानित आरसीएफएल भी है, इस के आवासीय कॉलोनी की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा रक्षक खुद सुरक्षित नहीं है। आरसीएफएल के टाईप वन की सुरक्षा में लगे सुरक्षा रक्षक बारिश में भींग कर नौकरी करने को मजबूर हैं।
जबकि आरसीएफएल द्वारा सीएसआर निधि से विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। बता दें की कंपनी ने इस कॉलोनी को सीआईएसएफ के जवानों को रहने के लिए दिया है।
गौरतलब है की करीब दो दशक पहले राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टीलाइजर लिमिटेड (आरसीएफएल) को मिनी रत्न से सम्मानित किया गया था। इस दौरान मुनाफे में चल रही आरसीएफएल के अधिकारियों ने खूब वाहवाही बटोरी और जमकर प्रचार प्रसार किया। आरसीएफएल सूत्रों के अनुसार 2015 के बाद कंपनी के मुनाफे गिरावट आई।
इसके बाद आमदनी में कमी होने के कारण आरसीएफएल की तरफ से अपने कर्मचारियों को वीआरएस के तहत बैठाने की नौबत आ गई। बहरहाल मौजूदा समय में आरसीएफएल कमो बेस मुनाफे में चल रही है। इसके बावजूद यहां के कर्मचारी खुश नहीं हैं।
वाहवाही बटोरने वाली आरसीएफएल की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के जवानों को रहने के लिए आवास मुहैया कराई गई। इसके अलावा आरसीएफएल की निजी आवासीय कॉलोनियों की सुरक्षा के लिए मनपा के सुरक्षा रक्षकों को किराये पर लिया गया है।
मौजूदा समय में आरसीएफएल के टाईप वन की सुरक्षा में तैनात मनपा के सुरक्षा रक्षक खुद सुरक्षित नहीं हैं। आरसीएफएल द्वारा उन्हें बिना सुविधाओं वाले असुरक्षित केबिन दिया है। इस केबिन में महज एक ही सुरक्षा प्रहरी बैठ या खड़ा हो सकता है। मिनी रत्न से नवाजी गई आरसीएफएल के टाईप वन के मुख्य गेट पर बिना दरवाजे का एक मामूली केबिन है, यहां पीने का पानी या शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है की जो खुद सुरक्षित नहीं है तो वह दूसरों की सुरक्षा कैसे करेगा?
मौजूद मानसून के दौरान बारिश होने पर देश की बहुराष्ट्रीय एवं मिनी रत्न से सम्मानित आरसीएफएल के कॉलोनियों की सुरक्षा में तैनात रक्षकों का बुरा हाल है। सुरक्षा रक्षकों के लिये कॉलोनी के गेट पर बना केबिन इतना छोटा है कि बारिश के दौरान एक आदमी का बचना मुश्किल है। सीजन प्रूफ इस केबिन में कोई सुविधा नही है।
बताया जाता है की इस कॉलोनी में सीआईएसएफ के जवान अपने परिवार के साथ रहते हैं। ऐसे में इस कॉलोनी के मुख्य द्वार पर सुरक्षा में तैनात सुरक्षा रक्षकों को लघुशंका या शौचालय के लिए कहां जाएंगे। इस गेट पर तैनात जवानों को बारिश में भीगना, गर्मी में तपो और ठंड में ठिठुरो वाली बात चरिर्ताथ होती है।
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