एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में फुसरो नगर के पुराना बीडीओ ऑफिस के समीप 2 दिसंबर को गिरिडीह के पूर्व सांसद राजकिशोर महतो की द्वितीय पुनयतिथि मनायी गयी। मौके पर बड़ी संख्या में उपस्थित गणमान्य जनों ने दिवंगत पूर्व सांसद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया।
स्थानीय रहिवासी व् विस्थापित नेता नरेश महतो के यूनियन कार्यालय आयोजित श्रद्धांजलि सभा में विस्थापित नेता महतो ने कहा कि जब तक बिनोद बाबू झारखंड आंदोलन का नेतृत्व करते रहे राजकिशोर बाबू झारखंड आंदोलन को बाहर से समर्थन कर कानूनी लड़ाई में आंदोलनकारियों का सहयोग करते रहे।
उन्होंने कहा कि राज किशोर बाबू कानून के ज्ञाता थे। वे उच्च न्यायालय में अधिवक्ता थे। जिसके कारण जो आंदोलनकारी कानूनी रूप से लड़ाई लड़ने में असहाय होते थे वैसे लोगो को लगातार न्याय दिलाने का काम करते थे। आज राजकिशोर बाबू का ही देन है कि हमे झारखंड राज्य मिला, नहीं तो उस समय की बिहार सरकार विकास परिषद देकर झारखंड आंदोलन को दबाना चाहती थी।
विस्थापित नेता सूरज महतो ने कहा कि बिनोद बाबू के निधन के बाद उनके अधूरे सपने को पुरा करने के लिए राजकिशोर बाबू ने राजनीति में कदम रखा और 1992 में गिरिडीह से लोकसभा का चुनाव लड़ा। वे चुनाव भी जीते। राजकिशोर बाबू ने कहा था कि हमे झारखंड राज्य के अलावा कुछ नहीं चाहिए।
उन्होने सांसद बनने के बाद झारखंड आन्दोलन की लड़ाई राजनीतिक और कानूनी दोनो रूप से लड़ी। सांसद प्रतिनिधि कमलेश महतो ने कहा कि बिनोद बाबू ने जो नारा दिया था उसी को सार्थक करने के लिए राजकिशोर बाबू ने झारखंड आन्दोलन की अगुवाई करने का जिम्मा उठाया था। जिसके तहत कानूनी लड़ाई के साथ साथ राजनीतिक और आंदोलन की भी लड़ाई लड़ना प्रारंभ किया।
झारखंड राज्य आन्दोलन को जिंदा रखने के लिए उन्होंने अपने पिता द्वारा बनाई गई पार्टी झामुमो का भी त्याग कर दिया और उस समय की केंद्र की तत्कालीन एनडीए सरकार में अटल आडवाणी से वार्ता किया। झारखंड अलग राज्य के सहमति के साथ एनडीए में शामिल हुए। उसके बाद अलग राज्य बनने के बाद 2005 में भाजपा से सिंदरी विधानसभा से विधायक भी बने।
उसके बाद 2014 में एनडीए गठबंधन से आजसू पार्टी के टिकट से टुंडी विधानसभा से विधायक बने। उन्होंने कहा कि राजकीशोर बाबू का जीवन बेहत ही संघर्षपूर्ण रहा। अंततः 2 दिसंबर 2020 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कर दिया।
मौके पर धनेश्वर महतो, शंभू शरण महतो, बिरन लोहार, राजेंद्र महतो, हरखलाल महतो, गिरधारी महतो, आकाश रजक, मुकेश महतो, सूरज पासवान, विजय नायक, राजेंद्र महतो, रामप्रवेश रविदास, जलेश्वर महतो, विश्वनाथ महतो, द्वारिका महतो, मिथलेश सिंह, बसंत सोनी सहित दर्जनों गणमान्य उपस्थित थे।
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