मुंबई। गोरेगांव (Goregaon) के अंबेडरकनगर (Ambedkar Nagar) इलाके में एक खुले हुए गटर में गिरे बच्चे के मिलने की उम्मीद अब बुझने लगी है। 48 घंटों से भी ज्यादा तक बच्चे को ढूंढने की कोशिश करने के बाद हार मानकर शुक्रवार रात को एनडीआरएफ (NDRF) ने तलाशी अभियान बंद कर दिया। मासूम को खो देने वाले परिजन बेहद गुस्से में हैं। वे कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं ताकि मुंबई में कोई दूसरा दिव्यांश (Divyansh) न हो।
खुले हुए गटर में बुधवार रात गिरे दिव्यांश के नहीं मिलने पर विरोध प्रदर्शन की धमकी देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण तिवारी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इससे स्थिति और भी ज्यादा तनावपूर्ण हो गई। तिवारी ने छूटने के बाद आरोप लगाया है कि पुलिस लोगों को बोलने से रोककर बीएमसी अधिकारियों की कमियां छिपाने की कोशिश कर रही है।
मनपा और परिजन आमने-सामने
उधर, पुलिस का कहना है कि वे इलाके की कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं। एक अधिकारी का कहना है, ‘पिछले दो दिन में लोग बेहद भावुक हो गए हैं। वे किसी भी चीज से भड़क सकते हैं और हालात बिगड़ सकते हैं। हम ऐसा होने से रोकना चाहते हैं।’ दिव्यांश का परिवार भी मनपा अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंचा। हालांकि, पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। अधिकारी ने बताया कि गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है। शव मिलने के बाद ही उसे ऐक्सिडेंटल डेथ रिपोर्ट में बदला जा सकता है।
अंबेडकरनगर इलाके में रहने वाले लोगों को चिंता है कि उनके बच्चे भी इधर-उधर खेलते हैं। वहां रहने वाले गुलाम हसन ने बताया है, ‘कभी मनपा मरम्मत कार्य के लिए तो कभी इलेक्ट्रिक सप्लायर नालों को खोल देते हैं। पिछले चार साल से हमारे कई बार शिकायत करने के बाद भी न ही निकाय अधिकारी और न इलेक्ट्रिक कंपनी नालों की मरम्मत पर ध्यान देती हैं।’ परिसर के बाहर दुकान चलाने वाले मोहम्मद नफीस खान ने बताया, ‘जब पूरे शहर में जलभराव था, हमारे परिसर में घुटने तक पानी भरा था। हमें हमेशा चिंता रहती है कि नाले के पास फीडर बॉक्स है।’
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