आरएसएस प्रमुख के संविधान विरोधी सोच के कारण भाजपा छोड़ी-सावित्रीबाई फुले

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। उत्तर प्रदेश के बदायूं से वर्ष 2014 में भाजपा के सांसद चुनी गई थी। आरएसएस प्रमुख के संविधान विरोधी बयानों के कारण मैंने भाजपा को छोड़ दिया और बाबा साहेब द्वारा बनाए गए संविधान की रक्षा के लिए पूरे देश में अलख जगा रही हूँ।

उक्त बातें बीते 11 दिसंबर की देर संध्या बोकारो जिला (Bokaro District) के हद में सीसीएल के कथारा स्थित अतिथि भवन में पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले ने पत्रकार वार्ता में कही। वे कथारा स्थित ऑफिसर्स क्लब में समता सैनिक दल एवं अम्बेडकर सोसाइटी द्वारा आयोजित बाबा साहेब अम्बेडकर श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने पहुंची थी।

उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम वे वर्ष 1995 में बहुजन समाज पार्टी से जुड़ी। वर्ष 2003 में उन्हें बसपा प्रमुख बहन मायावती ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बावजूद वे 3 वर्ष तक बसपा के लिए कार्य करती रही। बाद में वर्ष 2007 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा।

सावित्रीबाई ने बताया कि वर्ष 2012 में वह भाजपा के टिकट से उत्तर प्रदेश के बलहा से विधायक चुनी गई। इसके बाद उन्हें 2014 में बंदायू आरक्षित सीट से भाजपा से टिकट मिलने पर वे जनसमर्थन से सांसद चुनी गई।

सांसद बनने के बाद वर्ष 2017 में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा उनके समक्ष संविधान को बदलने की बात पर उनका मतभेद हो गया और वह पार्टी की सदस्यता त्याग कर सांसद पद से इस्तीफा दे दी। तब से वे लगातार पुरे देश में संविधान की रक्षा को लेकर जगह जगह कार्यक्रम कर रही है।

पूर्व सांसद ने समतामूलक समाज की स्थापना के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि जब तक देश में जाति, धर्म की राजनीति होती रहेगी तब तक समतामूलक समाज की स्थापना संभव नहीं है। समतामूलक समाज की स्थापना के लिए संविधान को सर्वोपरि मानना होगा, तभी देश प्रगति के पथ पर अग्रसर होगी।

उन्होंने कहा कि उन्हें बसपा से निष्कासित किए जाने के बाद भी बसपा सुप्रीमो काशीराम को अपना बाप और बाबासाहेब अंबेडकर को अपना आदर्श मानती रही है। और जीवन पर्यंत मानती रहेगी।

मौके पर अंबेडकर बुद्धा सोसायटी के राष्ट्रीय महासचिव अक्षयवर नाथ कनौजिया ने कहा कि प्रकृति की व्यवस्था हीं समतामूलक समाज की व्यवस्था है। दुनिया में जाति नहीं, बल्कि प्रजाति है। जिसमें मानव, जीव, पंक्षी, पशु आदि शामिल है। भारत में जो भी जातियां है मेरे समझ में बनाई गई जाति अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बना हैं।

जब तक प्राकृतिक को नहीं मानेंगे तब तक वे विकास पथ पर अग्रसर नहीं हो पाएंगे। तराजू की दृष्टि से देखेंगे तो जितने भी महापुरुष हुए हैं जाति व्यवस्था से आए हैं। जब तक भगवान को मानते रहेंगे तब तक समाज का विकास नहीं हो पाएगा। समाज का विकास बुद्ध के बताये मार्ग को अपनाकर हीं संभव है।

मौके पर उपरोक्त के अलावा अंबेडकर बुद्ध सोसायटी के केंद्रीय उपाध्यक्ष छोटन राम, समता सैनिक दल के झारखंड प्रदेश महासचिव चंदन सिंह गौतम आदि उपस्थित थे।

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