एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। सौ चुंहा खाकर बिल्ली हज को चली कहावत को चरितार्थ कर रही है संविधान बचाओ के नाम पर कांग्रेस और संविधान गौरव के नाम पर भारतीय जनता पार्टी। इन ढोंगबाजी पार्टीयों से जनता दुरी बनाए।
आजाद भारत से मनमोहन सिंह के कार्यकाल तक कांग्रेस ने अब तक संविधान मे 80 संशोधन किया और अटल बिहारी बाजपेयी से नरेन्द्र मोदी तक भाजपा ने 24 बार संविधान मे संशोधन किया है। इन पार्टयों का संविधान बचाओ और संविधान गौरव आंदोलन महज एक नौटंकी है।
कांग्रेस और भाजपा द्वारा संविधान बचाओ और संविधान गौरव जैसे नारे केवल वोट की लामबंदी और जनता को भ्रमित करने की नौटंकी भर हैं। दोनों दलो ने संविधान को अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का हथियार बना चुके हैं, जबकि उनके कार्य और इतिहास संवैधानिक मूल्यों के साथ छेड़छाड़ के सबूतों से भरे हैं। उपरोक्त बातें आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने 30 अप्रैल को कांग्रेस की ओर से 6 मई को संविधान बचाओ आंदोलन करने पर तीखी प्रतिक्रिया मे कही।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया अनुच्छेद 368 के तहत होती है और आजाद भारत में जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल (1947-1964) से मनमोहन सिंह के कार्यकाल (2004-2014) तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान 80 बार संविधान में संशोधन किए गए। कहा कि भारत का संविधान देश का आधार स्तंभ है, जिसकी रक्षा हर नागरिक और संस्था का कर्तव्य है।
लेकिन भाजपा और कांग्रेस द्वारा संविधान बचाओ और संविधान गौरव जैसे नारे केवल वोट लामबंदी और जनता को भ्रमित करने की नौटंकी भर हैं। दोनों दल संविधान को अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का हथियार बना रहे हैं, जबकि उनके कार्य और इतिहास संवैधानिक मूल्यों के साथ छेड़छाड़ के सबूतों से भरे हैं।
नायक ने कहा कि कांग्रेस की संविधान बचाओ का ढोंग मात्र वोट पाने के लिए है। वर्ष 2018 से 2025 तक, विशेष रूप से 2024 के लोकसभा चुनावों और 2025 में झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में, जोर-शोर से चलाया। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे संविधान की प्रति को जेब में लेकर इसे हिंदुस्तान की आत्मा बताते हैं, जबकि यह केवल वोट बैंक को अपने पाले मे लाने की चाल थी।कांग्रेस ने 2024 के चुनावों में संविधान खतरे में का नारा देकर दलित, आदिवासी, और ओबीसी समुदायों को लामबंद किया। इसका असर उत्तर भारत में दिखा, जहाँ कांग्रेस का वोट शेयर 2 प्रतिशत बढ़ा।
कांग्रेस का ऐतिहासिक पाखंड के बारे मे उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही वर्ष 1975 के आपातकाल में मौलिक अधिकारों को निलंबित किया और 42वें संशोधन (1976) के जरिए संविधान को मिनी-संविधान बनाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19) और न्यायिक समीक्षा को कमजोर किया। कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1951 में पहला संशोधन कर अनुच्छेद 19ए जोड़ा, जिसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश के रूप में देखा गया।
यह कांग्रेस की संवैधानिक छेड़छाड़ का ऐतिहासिक सबूत है, जिसे भारत की जनता भूल नही सकती। कांग्रेस नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगाती है, लेकिन वर्ष 1980 के दशक में इंदिरा गांधी सरकार ने न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश की थी, जैसे कि जजों के तबादले और सुपरसीडेंस। यह दिखाता है कि कांग्रेस का संस्थाओं की रक्षा का दावा खोखला है। आपातकाल और 42वां संशोधन जैसे काले धब्बे इसके दावों की धज्जियाँ उड़ाता है।
नायक ने कहा कि संविधान गौरव का दिखावा भाजपा की नौटंकी भर है। भाजपा ने बीते 11 जनवरी से संविधान गौरव अभियान शुरू किया, जिसका फोकस देश के एससी बहुल जिलों पर है। पार्टी दावा करती है कि वह संविधान को मजबूत करती है, लेकिन इसके कार्य और बयान जनता के बीच संदेह पैदा किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता अनंत हेगड़े का 2024 का बयान कि संविधान संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए और आरएसएस नेताओं का संविधान को पश्चिमी बताना भाजपा की मंशा पर सवाल उठाता है।
भाजपा का संविधान गौरव अभियान एससी वोटों को वापस लाने और हिंदू एकता के नाम पर वोट बटोरने की नौटंकी है। एनजैक और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग इसके दावों को खोखला बनाता है। कांग्रेस का संविधान बचाओ दलित-ओबीसी वोटों को लुभाने का हथकंडा है, जबकि भाजपा का संविधान गौरव एससी और हिंदू वोटों को लक्षित करता है। दोनों नारे भावनाओं को भड़काने के लिए हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का आपातकाल और 42वां संशोधन संविधान की हत्या था, जबकि भाजपा का एनजैक और अनुच्छेद 370 को हटाना विवादास्पद रहा। दोनों ने संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन किया। कांग्रेस ने अपने शासन में सीबीआई और न्यायपालिका पर दबाव डाला, जबकि भाजपा ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। दोनों की मंशा संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की रही है। सुप्रीम कोर्ट का मूल संरचना सिद्धांत (1973) संविधान को बड़े बदलावों से बचाता है। अनुच्छेद 368 के तहत दो-तिहाई बहुमत और राज्यों की सहमति जरूरी है, आज दोनों दलों के नारे अतिशयोक्तिपूर्ण हैं। कहा कि संविधान को खतरा नहीं, बल्कि इनकी नौटंकी से जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों यथा बेरोजगारी, महंगाई से हट रहा है।
नायक ने देश की जनता से अपील करते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस की संविधान बचाओ और संविधान गौरव केवल वोट प्राप्त करने का एक साधन है। कांग्रेस का आपातकाल और 42वां संशोधन, भाजपा का एनजैक और ईडी का दुरुपयोग सबूत हैं कि दोनों ने संविधान को अपने स्वार्थ का हथियार बनाया। संभल हिंसा, नेशनल हेराल्ड मामला और नेताओं के उत्तेजक बयान दिखाते हैं कि दोनों दल समाज को बाँटकर सत्ता की मलाई खाना चाहते हैं। जनता को चाहिए कि इन ढोंगियों के नारों में न फँसे। संविधान की रक्षा सुप्रीम कोर्ट और जागरूक नागरिक करेंगे, न कि ये सत्ता लोलुप दल।
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