एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। दहेज कुप्रथा समाज के लिए एक अभिशाप से कम नहीं है। इस पर पूर्ण पाबंदी लगाने की जरूरत है, तभी स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है। जिससे बेटे-बेटी में भेदभाव खत्म किया जा सकता है।
ऐसी पहल औरंगाबाद के एक युवक ने की है। जिसकी चहुंओर प्रशंसा हो रही है। बिहार के औरंगाबाद निवासी सतेंद्र सिंह उर्फ शैम्पू ने दहेज मुक्त शादी रचा कर समाज में मिसाल पेश की है। बेटे की शादी पर दहेज लेना हर वर्ग के लिए आज एक स्टेटस सिंबल बन चुका है। मनचाहे दहेज की ख्वाहिश पूरी नहीं होने पर बेटियों की ससुराल वाले जान लेने से भी नही चूकते हैं, लेकिन इन सबसे अलग औरंगाबाद के एक युवक ने दहेजमुक्त शादी कर समाज में मिसाल पेश की है।
उसकी इस पहल की चर्चा बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल मे हो रही है। सभी उसकी इस सराहनीय पहल की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं। बिहार के औरंगाबाद के रहनेवाले सतेंद्र कुमार और उसके पिता अशोक सिंह ने इसे साबित कर दिखाया है।
सतेंद्र ने आदर्श विवाह कर समाज को एक बेहतर संदेश देने का काम किया है। सतेंद्र ने बेरमो के सिंह नगर निवासी प्रशांत सिंह की बेटी प्रति कुमारी को अपना जीवन संगिनी के रूप में स्वीकार किया है। उसके माता-पिता ने भी सतेंद्र के फैसले का साथ दिया। सतेंद्र ने बिना दहेज के शादी करने का फैसला पहले ही कर रखा था।
इस फैसले में उसके माता-पिता ने भी साथ दिया। शादी में वधु पक्ष की ओर से बिना मांगे बहुत सामान दिया गया। शादी और पार्टी में पहुंचे रिश्तेदार, मेहमान सभी इस आदर्श विवाह की सराहना कर रहे हैं। 28 जून को शादी छत्तीसगढ मे होने वाली है। शादी में पहुंचे मेहमानों, रिश्तेदारों ने वर-वधु को आशीर्वाद दिया।
इस संबंध में सतेंद्र ने कहा कि वह दहेज मुक्त शादी करना चाहता था, जो उन्होंने किया। इस फैसले में उसके माता-पिता ने उसका साथ दिया। वह समाज को दहेज मुक्त शादी करने का संदेश देना चाहता है। उसने बिना दहेज के प्रीति को अपना जीवन संगिनी बनाया है। प्रीति भी सतेंद्र जैसा पति और ससुराल पाकर बेहद खुश है। वहीं प्रीति के पिता प्रशांत सिंह ने कहा कि उसने कभी सोचा नहीं था कि बिना दहेज की बेटी की शादी होगी।
इस अवसर पर बेरमो के मजदूर नेता गिरजा शंकर पांडेय और जवाहरलाल यादव ने कहा कि सतेंद्र की दहेज मुक्त शादी की चर्चा हर ओर है। लड़की के पिता और लड़का के पिता ने समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत किया है। जिसकी वे सभी सराहना करते हैं।
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