गांधी मैदान में आदिवासी सेंगेल द्वारा सरना धर्म कोड जनसभा का आयोजन

फिरोज आलम/जोनामोड़ (बोकारो)। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में 25 नवंबर को आदिवासी सेंगेल अभियान (सेंगेल) द्वारा सरना धर्म कोड जनसभा का आयोजन किया गया। अध्यक्षता केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू ने किया।

आयोजित जनसभा में मुख्य वक्ता पूर्व सांसद सालखन मुर्मू और विशेष वक्ता डॉ संजय पासवान एमएलसी (बिहार) ने अपने विचार रखे।

जनसभा के पूर्व सालखन मुर्मू का स्वागत 5 प्रदेशों से पधारे करीब 10,000 से ज्यादा सेंगेल के प्रतिनिधियों ने गांधी मैदान में किया। मंच में मुर्मू और डॉ पासवान का स्वागत किया गया।

तत्पश्चात सेंगेल के बिहार प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू ने स्वागत भाषण देते हुए अपने विचार रखे। उसके बाद दिशोम परगना बैद्यनाथ हंसदा, केंद्रीय संयोजक सोनाराम सोरेन तथा 5 प्रदेशों के सेंगेल अध्यक्ष क्रमश: देवनारायण मुर्मू (झारखंड), नरेंद्र हेंब्रोम (उड़ीसा), सोहन हेंब्रोम (असम), पानमुनि बेसरा बंगाल के साथ वुधन मरांडी, पांडू मुर्मू और चंपा किस्कू ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर विशेष वक्ता डॉ संजय पासवान ने सालखन मुर्मू के साथ अपनी पुरानी यादों को ताज़ा किया। जब दोनों संसद मे साथ थे। उन्होंने कहा कि सालखन मुर्मू का संताली को संविधान के आठवीं सूची में शामिल कराने में सफल नेतृत्व था।

पासवान ने कहा कि वे इस ऐतिहासिक घटना के गवाह रहे है और मुर्मू के कामों को बहुत करीब से देखा था। उनके ही प्रयासों के कारण पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी भी संताली भाषा के मुहिम को टाल न पाए।

उन्होंने मुर्मू को ही असली सरना धर्म गुरु कहा एवं आदिवासियों के लिए अवतार की उपाधि से नवाजा। पासवान ने मुर्मू को भारत के आदिवासियों और उनके भविष्य के लिए बहुत ही मूल्यवान बताया। उनके नेतृत्व में ही सरना धर्म कोड की मांग के पुरा होने का विश्वास प्रकट किया।

पासवान ने प्रधानंत्री मोदी द्वारा एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाए जाने पर आभार प्रकट किया और इस ऐतेहासिक फैसले का स्वागत किया। आखिर में पासवान ने रैली में उपस्थित आदिवासी श्रोतागणों के अनुशासन और धैर्य के कायल भी हुए और आदिवासी समाज से अन्य समाज को भी सीखने की नसीहत दिया।

सालखन मुर्मू ने कहा कि जब भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हमारे बीच में से हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासी मामलों पर ऐतिहासिक पहल किया है तो हमें पूर्ण विश्वास है कि हम निश्चित सरना धर्म कोड की मान्यता को हासिल कर सकेंगे। हमें एकजुट होकर जागरूकता के साथ अपने आंदोलन को व्यापक और सार्थक बनाते रहना होगा।

आज की सरना धर्म कोड जनसभा में निम्न दो प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आयोजित आज की सरना धर्म कोड मान्यता जनसभा में सर्वसमिति से पारित किया गया कि प्रकृति पूजक आदिवासियों को जब तक उनका धार्मिक मान्यता सरना धर्म कोड की मान्यता नहीं मिलती है, 5 प्रदेशों में जन आंदोलन जारी रहेगा।

सर्वसमिति से तय हुआ कि पूर्व घोषित 30 नवंबर का 5 प्रदेशों में रेल-रोड चक्का जाम आंदोलन को फिलहाल बढ़ाकर 30 जनवरी 2023 को किया जाएगा। क्योंकि प्रधानमंत्री की तरफ से सरना धर्म कोड एवं अन्य आदिवासी मुद्दों पर सेंगेल से बातचीत की पेशकश की गई है।

आज की जनसभा का प्रारंभ और अंत सरना एकता प्रार्थना से की गई। बीच में ज्योति मुर्मू ने सरना धर्म कोड पर जारी आज के प्रेस विज्ञप्ति को पढ़कर सुनाया।

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