मॉव लिंचिंग निवारण में संसोधन को लेकर सरना विकास समिति ने एडीसी को सौंपा ज्ञापन

एस.पी.सक्सेना/रांची (झारखंड)। भीड़ हिंसा, भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 में आवश्यक संशोधन/विलोपित करने हेतु झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा रांची एवं अन्य संगठनों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा 18 जनवरी को राजभवन जाकर झारखंड के राज्यपाल के अनुपस्थिति में एडीसी अमण कुमार (ADC Aman Kumar) को एक ज्ञापन सौंपा।

उक्त जानकारी देते हुए आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि भीड़ हिंसा मॉब लींचिंग विधेयक 2021 शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा से पारित किया गया है।

इस विधेयक की धारा 2 (1) 4 (क)(ख)(ग)(घ)(ड;)(च) 5, 6, 7,10 एवं अन्य कंडिका में उल्लेखित प्रावधानों में जनजाति समाज की परंपरागत, सामाजिक व्यवस्था एवं मूल अधिकारों से वंचित किया जाना प्रतीत होता है।

झारखंड राज्य (Jharkhand state) में निवासित जनजातियों के कस्टमरी लौव एवं 5वीं अनुसूची के अंतर्गत निहित है तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 19, 25, 243, 244 एवं अन्य में जो अपने संवैधानिक एवं मौलिक अधिकारों के तहत जनजाति समाज की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृति एवं समाज की समस्याओं एवं समाज की रक्षा, सुरक्षा, हक अधिकार इत्यादि की सामूहिक रुप से निर्णय लिए जाते है। इस कानून में कहीं ना कहीं बाधक साबित होगा।

समिति (Committee) के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि इस मॉब लिंचिंग कानून में जाति, धर्म, लिंग, वंश, नस्ल, आहार-व्यवहार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, परिवहन सेवा, तिरस्कार करना, अपमानित करना, धमकी देना, हिंसा कृत्य में सहायता करना, चाहे वह इस अधिनियम के अधीन अपराध की श्रेणी में आता हो अथवा नहीं।

जिसका प्रयोजन, चाहे ऐसा कृत्य स्वभाविक हो या योजनाबद्ध हो, दो या दो से अधिक भीड़ समूह या फिर पति पत्नी ही क्यों ना हो इस दायरे में रखा गया है, जो कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता है।

जबकि कोई भी अपराध के लिए आईपीसी (IPC) की धारा में पहले से ही कानून मौजूद है। उन्होंने कहा कि इस कानून से जनजाति समाज की सामाजिक व्यवस्था पूरी तरह से छिन्न-भिन्न होते दिख रहा है।
जनजाति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक संदीप उरांव ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा एक विशेष समुदाय को ध्यान में रखते हुए ऐसा कानून बनाने का प्रयास किया गया है।

ऐसा प्रतीत होता है, कि इस कानून के तहत धर्मांतरण कराने वाले को छूट मिलेगी। और बात बात पर इसे मॉब लींचिंग के दायरे में लाया जाएगा। इस विधेयक कानून में ग्राम सभा की शक्ति को समाप्त करने की एक सोची समझी षड्यंत्र है।

युवा चाला विकास समिति के केंद्रीय अध्यक्ष सोमा उरांव ने कहा कि राज्यपाल 5वीं अनुसूची क्षेत्र के कस्टोडियन है। इस विधेयक को गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए राज्य हित में इसे रद्द करें। प्रतिनिधि मंडल में कार्यकरी अध्यक्ष सनी टोप्पो, राष्ट्रीय आदिवासी मंच, एवं जय मंत्री उरांव, जनजाति धर्म संस्कृति रक्षा मंच के झारखंड प्रदेश के उपाध्यक्ष शामिल थे।

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