पवित्र सरना स्थल पर पाहन पुजेर ने की विधि विधान से पूजा, सुख समृिद्ध की कामना
सरहुल महापर्व में शामिल हुए पंचायत समिति सदस्य अयुब खान
एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा प्रखंड के कामता पंचायत में धुमधाम से सरहुल का त्योहार मनाया जा रहा है। गांव में पाहन पुजेर ग्राम प्रधान पचु गंझु, राजेन्द्र पाहन ने पवित्र स्थल सरना में पुरे विधि विधान से प्राकृतिक की पूजा अर्चना की। यहां मुर्गे की बलि देकर परंपरा निभाई गई। पेड़ में कच्चा धागा बांधा गया।
सरहुल पर्व के अवसर पर सरना स्थल पर सरय फुल और नए घड़े से जल चढ़ाया गया। फुल खोंसी भी की गई। अच्छी बारिश, फसल और सुख स्मृद्धि की कामना की गयी। पुजा के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।
इस दौरान श्रद्धालुओं ने गीत गाकर घंटों मांदर की थाप पर थिरके।
इस अवसर पर पाहन पुजेर ग्राम प्रधान पचु गंझु, राजेन्द्र पाहन, श्रद्धालु अशोक गंझु, लक्षमन मुंडा, लालू गंझु ने कहा कि आदिवासियों का सबसे बड़ा पर्व सरहुल है। कहा गया कि सरहुल पर्व के साथ ही कई तरह की नई शुरुआत भी की जाती है।
प्रकृतिक के महापर्व सरहुल की शुरुआत चैत माह के आगमन से होती है। इस समय साल के वृक्षों में फूल लग जाते हैं, जिसे आदिवासी प्रतीकात्मक रूप से नए साल का सूचक मानते हैं और पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि यह सरहुल का महापर्व गांव में एक सप्ताह तक चलेगा। इस अवसर पर घर घर जाकर सरय फुल खोंसने का काम किया जाता है।
कामता पंचायत के पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने कहा कि जब पेंड़ के टहनियां हरा भरा होकर सुगंधित होने लगती हैं तब यह पर्व मनाया जाने लगता है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के ही कारण आज हमारा राज्य हरा भरा है। आदिवासी समाज प्रकृतिक के प्रेमी हैं। उन्होंने सरहुल पर्व के अवसर पर रहिवासियों को शुभकामनाएं दी।
मौके पर पाहन पुजेर ग्राम प्रधान पचु गंझु, राजेन्द्र पाहन, जोगेंद्र पाहन, पंसस अयुब खान, लालू गंझु, प्रदीप गंझु, महेंद्र गंझु, भुकन गंझु, चंद्रीका गंझु, गोपी गंझु, मुन्ना गंझु, अनिल गंझु, उमेश कुमार, दिलीप भुइंया, बोंदाली भुइंया, शंकर साव, गोप जी, औरंगजेब खान, सज्जाद खान, अशोक गंझु, लक्षमन मुंडा, महादेव गंझु, सुधन गंझु, आदि।
रवि गंझु, रंथु मुंडा, संजय मुंडा, प्रभु तुरी, रुपेश मुंडा, मनोज गंझु, चंदन कुमार, कुबेर गंझु, जगदेव गंझु, राज मुंडा, नागो गंझु, संजय गंझु, रंजीत गंझु, माड़ु गंझु, पैंतु गंझु, गुड्डू गंझु, उमेश गंझु, गोपी गंझु, धनेश्वर गंझु सहित गांव के सभी समुदाय के सैंकड़ों ग्रामीण रहिवासी शामिल थे।
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