प्रहरी संवाददाता/गुवा। नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल में बसा कलैता गांव बाल श्रम मुक्त गांव घोषित किया गया। 12 जून को एस्पायर संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन, विशिष्ट अतिथि मेघाहातुबुरु उत्तरी पंचायत की मुखिया लिपि मुंडा, मेघाहातुबुरु दक्षिणी की मुखिया प्रफुल्लित ग्लोरिया तोपनो, किरीबुरु पश्चिम की मुखिया पार्वती किड़ो, उप मुखिया सुमन मुंडू, उप मुखिया शमशाद आलम आदि उपस्थित हुये।
कार्यक्रम के दौरान एस्पायर संस्था के सदस्यों ने बताया की कलैता गांव के शत प्रतिशत बच्चों को स्कूल से जोड़ दिया गया है। अब इस गांव में एक भी बच्चा बाल मजदूरी नहीं करता है। ऐसे में इस गांव को आज बाल श्रम मुक्त घोषित किया जाता है।
इस दौरान जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन ने कहा कि यह हम सभी के लिये गर्व की बात है कि सारंडा का सबसे पिछड़ा गांव, जहां के प्रायः लोग बेरोजगार हैं, आज यह गांव बाल श्रम मुक्त गांव बन गया। उन्होंने सभी से जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र हर हाल में बनवाने की अपील की। इसके बाद सभी करमपदा गांव गए और वहां ग्रामीणों से समस्याएं सुनी।
इस दौरान फ्रांसिस लोम्गा, सन्नी हस्सा, कनक मिश्रा, आलोक तोपनो, चुमन लागुरी, निर्मल सिद्दू, स्टीफेन कोनगाड़ी, विजय अंगरिया, गोनो चाम्पिया, रोमल टोपनो, कुशनू सिदु, सोमा लोमगा, मंजु बिरुवा, नीतिमा हेम्ब्रम आदि सैकड़ों मौजूद थे।
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