शिवरात्रि के दिन हुई थी संगमेश्वरनाथ महादेव की प्राण प्रतिष्ठा

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। सारण जिला के हद में गंगा-गंडक संगम तीर्थ सबलपुर गांव में ग्यारह वर्ष पूर्व शिवरात्रि के दिन ही बाबा संगमेश्वरनाथ महादेव की स्थापना की गयी थी। इस सिद्ध भूमि में आकर माथा टेकने वालों की मन्नत पूरी होती है। उनके दु:ख-दरिद्रता का नाश होता है।

शिवरात्रि के अलावा श्रावण एवं कार्तिक माह में बाबा संगमेश्वरनाथ का भव्य श्रृंगार किया जाता है। यहां प्रसाद वितरण की पुरानी परंपरा है।

मालूम हो कि मंदिर निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा के 11 वर्ष पूरा होने पर पिछले वर्ष नवम्बर माह में यहां विराट महाविष्णु यज्ञ का आयोजन किया गया था। इस सिद्ध भूमि को शांतिधाम, संगमपुर शिव शक्ति मंदिर सह बाबा गोरखाईनाथ समाधि मंदिर के नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है।

यह स्थल सबलपुर बभनटोली में स्थित है। इस मंदिर में नाथ सम्प्रदाय के सिद्ध योगी गोरखाईनाथ की भूमिगत तपोभूमि है, जिसमें उन्होंने बाद में समाधि ले ली थी।

जानकार बताते है कि योगी गोरखाईनाथ पटियाला के किसी राजघराने से ताल्लुक रखते थे। एक हाथ में तलवार और दूसरे में भगवा ध्वज उनकी पहचान थी। कानों में गजमुक्ता कुंडल और उनकी सौम्य मुखाकृति आकर्षक थी। कहते हैं कि तब दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में उनके दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते थे।

वे परम् शिव भक्त और सच्चे अर्थों में सिद्ध योगी थे। यह स्थान ब्रिटिश काल में क्रांतिकारियों की शरणस्थली भी थी। क्रांतिकारियों को योगिराज गोरखाईनाथ से देश भक्ति की प्रेरणा मिलती रहती थी।

उन्होंने ही संगम की इस पावन भूमि पर आगमन के कुछ दिनों के भीतर वर्ष 1931 में ही एक लघु शिव लिंग एवं नंदी की मूर्ति की स्थापना की थी, जो अब नही है। उनके समाधि में लीन हो जाने के बाद मंदिर परिसर उजाड़ हो गया था।

बताया जाता है कि वर्ष 1995 से इस परिसर में प्रज्ञा ज्ञान विज्ञान मंडल द्वारा अनेक आध्यात्मिक आयोजन कर इस जगह को पुनः जागृत किया गया और एक बार फिर श्रद्धालु गण इस सिद्ध स्थल की ओर मुखातिब हुए। अंततः वर्ष 2008 के 14 अगस्त को मंदिर जीर्णोद्धार कार्य का शिलान्यास संपन्न हुआ।

इस कार्य में स्थानीय रहिवासी सच्चिदानंद शर्मा, स्व. जयमंगल तिवारी, जितेन्द्र प्रसाद शर्मा, रामजी शर्मा, राजेश कुमार तिवारी, स्व.गौतम कुमार चंदन (मुखिया), दीपक शर्मा(पूर्व मुखिया), धर्मनाथ शर्मा, संजय कुमार शर्मा, दिलीप सिंह (सरपंच) आदि की भूमिका अग्रगण्य रही थी।

उक्त मंदिर में भगवान शिव-पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय, शिव लिंग और नंदी की स्थापना की गयी है। यहां श्रद्धालुओं द्वारा प्रतिदिन विधिवत पूजा-अर्चना होती है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर शिव परिवार के साथ योगिराज गोरखाई नाथ की भक्ति भाव से पूजा-आराधना करनेवालों की मार्ग में आने वाली सभी कठिनाइयों का शमन हो जाता है।

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