नटवर साहित्य परिषद की कवि गोष्ठी में जमकर वही फागुनी बयार

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। मुजफ्फरपुर शहर के सरैयागंज स्थित नवयुवक समिति सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से 31 मार्च को कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।

आयोजित मासिक कवि गोष्ठी में फागुनी बयार बहती रही। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ देवव्रत अकेला, मंच संचालन डाॅ विजय शंकर मिश्र, स्वागत रणवीर अभिमन्यु व आभार ज्ञापन नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।

इस अवसर पर कवि गोष्ठी की शुरुआत आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री के होली गीत से किया गया।इसके बाद कवि व गीतकार डाॅ विजय शंकर मिश्र ने सांस- सांस में राष्ट्र प्रेम का दिव्य प्रकाश हो सुनाकर तालियां बटोरी। गजलकार डॉ नर्मदेश्वर मुजफ्फरपुरी ने यह भंवरा मंडराता रहता रंग गंध के गांव में प्रस्तुत की। डाॅ पुष्पा गुप्ता ने कविता प्रीतम लगता कितना प्यारा, सब रिश्तों में सबसे न्यारा सुनाई।

इस अवसर पर मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज ने दर्द उनका मोहब्बत का सहते रहे, दिलरूबा दिलरूबा जिनको कहते रहे सुनाकर श्रोताओं को भाव विह्वल कर दी। डाॅ शैल केजरीवाल ने नेता मंत्री संत्री, चहूं ओर मची है लूट सुनाकर दाद बटोरी। प्रो. देवव्रत अकेला ने काश कोई आ जाये आर्विभाव की कथा दुहरा जाये सुनाई।

मोहन कुमार सिंह ने बसंत का बयार है, हर तरफ प्यार है सुनाकर जमकर तालियां बटोरी। डाॅ उषा किरण ने नये साल के स्वागत का ये बस शुरुआत है होली सुनाई। डाॅ जगदीश शर्मा ने नारिया होती बड़े ही नाज नखरे वाली है सुनाकर शमाँ में चार चांद लगा दिया।

गोष्ठी में इसके अलावा कवि ओमप्रकाश गुप्ता, डाॅ हरिकिशोर प्रसाद सिंह, अरुण कुमार तुलसी, सत्येन्द्र कुमार सत्येन, रामवृक्ष राम चकपुरी, दीनबंधु आजाद, अंजनी कुमार पाठक, रणवीर अभिमन्यु, डाॅ नीलिमा वर्मा, सुरेन्द्र कुमार, प्रो. श्रीप्रकाश आदि की भी रचनाएं भी सराही गयी।

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