गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर(वैशाली)। लोकबंधु राजनारायण (Lok bandhu Ramnarayan) का जन्म बनारस राज परिवार के अनंत प्रताप सिंह मोतिकोट गंगापुर के पुत्र के रूप में वर्ष 1917 के 25 नवंबर को हुआ। राज नारायण ने वनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) से स्नाकोत्तर और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। अपने छात्र जीवन से ही देश की आजादी के लड़ाई में कूद पड़े। वर्ष 1942 के अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन का बनारस जनपद में नेतृत्व किया। राजनारायण 3 साल अंग्रेजो की जेल में रहे ।
देश की आजादी के बाद राजनारायण राममनोहर लोहिया के सोसलिस्ट पार्टी के नेता बन गए। वर्ष 1952 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य हो गये। वे फक्कड़ समाजवादी नेता थे। उन्होंने अपने हिस्से की 950 बीघा भूमि गरीब और बेसहारो के बीच बाट दी। वर्ष 1971 का लोकसभा चुनाव इंदिरा से हारने के बाद राजनारायण ने इंदिरा गांधी के रायबरेली से चुनाव को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी। जिसमें 1975 में हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द कर दिया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा कर सभी नेताओं को जेल में डाल दिया। राजनारायण को भी जेल में डाल दिया गया। वे एकबार फिर वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से इंदिरा गांधी को हराकर मोरारजी देसाई की सरकार में देश के स्वास्थ्य मंत्री बने। मंत्री और सांसद के रूप में उनका आवास गरीबो के लिये खुला रहता था। राजनारायण गरीबी और व्यवस्था के खिलाफ हमेशा लड़ते रहे। आजादी के बाद भी 14 वर्ष वे जेल में रहे। अपने 69 वर्ष के जीवन में 80 बार वे जेल गए। 31 दिसम्बर 1986 को जब राजनारायण की मृत्यु हुई तो उनके बैंक खाता में 1450 रूपये के अलावे कोई सम्पति नही थी। इस फक्कड़ महामानव को उनकी पूण्य तिथि पर श्रधांजलि।
(लेखक बिहार राज्य के वैशाली जिला अदालत(हाजीपुर) में वरीय अधिवक्ता हैं।)
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