मेघाहातुबुरु और किरीबुरु लौह अयस्क खदान में अयस्क भंडार कमी दे रहा खदान बंदी के संकेत
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला (West Singhbhum District) के हद में स्थित सेल की मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदान और किरीबुरु लौह अयस्क खदान की सेंट्रल और साउथ ब्लॉक के लिए स्टेज -दो फॉरेस्ट क्लीयरेंस न मिलने की स्थिति में दोनों खदान बंदी के कगार पर आ गयी है।
विदित हो कि भारत सरकार (Indian Government) की संस्था भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड, बोकारो इस्पात संयंत्र की मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदान सन 1984 और किरीबुरु लौह अयस्क खदान 1964 से उत्पादन कर देश की विकास में अनवरत अपना योगदान दे रहे हैं। वर्तमान में दोनों खदानों में लौह अयस्क भंडार समाप्ति कि ओर है, जिससे उत्पादन संकट की स्थिति दिख रही है।
जानकारी के अनुसार मेघाहातुबुरु में लगभग छह मिलियन टन ही लौह अयस्क उत्पादन योग्य भंडार है। जिससे एक या डेढ़ साल उत्पादन संभव है। वहीं, किरिबुरु में लगभग दस मिलियन टन ही लौह अयस्क उत्पादन योग्य भंडार है, जिससे दो या ढाई वर्ष उत्पादन किया जा सकता है।
गौरतलब है कि पूर्व के कच्चा माल प्रभाग (आरएमडी) के सारे खदानों में मेघाहातुबुरु और किरीबुरु खदानों कि स्थिति उत्पादन और गुणवत्ता की दृष्टि से उच्च देखा गया है। अब लौह अयस्क भंडार खदान में नहीं होने के फलस्वरूप निचले पायदान पर आ गया है।
इस कारण लगभग चार हजार कार्य करने वाले स्थायी या अस्थायी कर्मचारियों के बीच असमंजस की स्थिति दिख रही है। सेल पदाधिकारियों के अनुसार भंडार नहीं होने के कारण कब यह खदान बंद हो जाएगा और रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी, कहा नही जा सकता।
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