रैयत विस्थापितों की सीसीएल उच्च प्रबंधन के साथ वार्ता संपन्न

प्रबंधन ने समस्या समाधान के लिए मांगा समय

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। रैयत विस्थापितों द्वारा नियोजन व मुआवजा की मांग को लेकर लगातार किये जा रहे आंदोलन को समाप्त करने और समस्या समाधान को लेकर 19 अक्टूबर को सीसीएल मुख्यालय दरभंगा हाउस रांची में रैयत विस्थापित मोर्चा की उच्च प्रबंधन के साथ वार्ता हुआ। वार्ता में सीसीएल के महाप्रबंधक भूमि एवं राजस्व व विस्थापित मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष सहित दोनों पक्षों से दर्जनों गणमान्य शामिल हुए।

बताया जाता है कि रैयत विस्थापित मोर्चा द्वारा सीसीएल प्रबंधन को वार्ता के क्रम में बोकारो जिला के हद में स्थित जारंगडीह के विस्थापितों को मुआवजा खतियानी अधिकार जताते हुए सीसीएल प्रबंधन से इसके एवज में रैयतो को नियम के अनुसार नियोजन देने के साथ ही अधिगरहित भूमि का वर्तमान दर पर मुआवजा देने तथा विस्थापन की समस्या दूर करने की मांग की।

प्रबंधन द्वारा इस संबंध में रैयतो से कहा गया कि जारंगडीह मौजा की भूमि वर्ष 1922 में रेलवे द्वारा अधिग्रहित किया गया जिसे। वर्ष 1956 में रेलवे ने इसे एनसीडीसी को हस्तांतरित कर दिया था। कालांतर में वर्ष 1969 में कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के समय कोल इंडिया के गठन के साथ ही उक्त भूमि सीसीएल के जिम्मे आ गया। इसलिए उक्त भूमि पर रैयतो का कोई हक नहीं बनता।

वार्ता के क्रम में मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष फागु बेसरा ने जब सीसीएल प्रबंधन से भूमि हस्तांतरण दस्तावेज की मांग की तब प्रबंधन द्वारा 1922 के रेलवे पट्टा दिखाया गया। वही बेसरा ने रैयतो के हिस्से 1908 ई़. का उक्त पट्टा अधिकार पत्र दिखाते हुए रैयतो के हक को पुख्ता बताया। तब कहीं जाकर सीसीएल प्रबंधन के तेवर ढीले पड़े।

बताया जाता है कि उक्त वार्ता में प्रबंधन ने नियोजन एवं मुआवजा की समस्या समाधान को लेकर नवंबर के अंतिम सप्ताह तक समय मांगा। साथ ही झारखंड सरकार द्वारा विस्थापितों को नियोजन एवं अन्य कार्यों में 75 प्रतिशत के आदेश का पालन करने को लेकर सकारात्मक पहल करने की बात कही गई।

इस संबंध में वार्ता में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा बोकारो जिला सचिव जयनारायण महतो ने कहा कि प्रबंधन अपनी हठधर्मिता को छोड़कर रैयत विस्थापितों के हितों को नजरअंदाज करना बंद करें तभी कोयला उद्योग का भविष्य सुरक्षित रहेगा।

मोर्चा के जारंगडीह शाखा अध्यक्ष इस्लाम अंसारी ने कहा कि आंदोलनों के बाद प्रबंधन की वार्ता कर मामले को टरकाने की नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि यदि प्रबंधन आगामी वार्ता में रैयत विस्थापितों के हितों को नजरअंदाज करती है तो इस बार रैयत विस्थापित मोर्चा प्रबंधन के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई लड़ेगी।

वार्ता में सीसीएल प्रबंधन की ओर से मुख्यालय रांची के महाप्रबंधक भूमि एवं राजस्व एसके झा, मुख्य प्रबंधक कार्मिक एवं पीएंडआईआर शंकर कुमार झा, कथारा क्षेत्र के महाप्रबंधक हर्षद दातार (वीडियो कॉन्फ्रेंसींग माध्यम से जुड़े), उप प्रबंधक सामुदायिक विकास (एलएन आर) देवव्रत घोष, मुख्य प्रबंधक माइनिंग p&r वी एन राम, प्रबंधक खनन कुमार प्रभाकर जबकि रैयत विस्थापित मोर्चा की ओर से मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष फागु बेसरा, आदि।

केंद्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद इकबाल अंसारी, झामुमो बोकारो जिलाध्यक्ष हीरालाल मांझी, मोर्चा के केंद्रीय उपाध्यक्ष राजकुमार महतो, झारखंड मुक्ति मोर्चा बोकारो जिला सचिव एवं मोर्चा के सलाहकार जय नारायण महतो, मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सोना राम मांझी, जारंगडीह शाखा अध्यक्ष मोहम्मद इस्लाम अंसारी, सचिव फिनी राम सोरेन, झामुमो जोनल संयुक्त सचिव इकबाल अहमद, आदि।

एसटी/एससी जिला महामंत्री गिरीश पासवान, रुस्तम अंसारी, यूनुस अंसारी रसालत अंसारी, जब्बार अंसारी, जगदीश मरांडी, असगर अंसारी, कथारा पंचायत के मोहम्मद मुस्ताक, मोर्चा के कुतुबुद्दीन अंसारी, नरेश मुंडा, मनोज मुंडा, रज्जाक अंसारी, शाने रजा आदि शामिल थे।

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