स्थानीयता को लेकर आरवाईए व् आईसा का धरना-प्रदर्शन

एस.पी.सक्सेना/बोकारो। राज्य स्तरीय कार्यक्रम (Program) के तहत इंकलाबी नौजवान संगठन (आरवाईए) एवं क्रांतिकारी छात्र एसोसिएशन (Association) (आईसा) के बैनर तले झारखंड में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाने की मांग को लेकर करगली गेट पर धरना प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि हम किसी भाषा या बाहरी लोगों के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकार (Government) की आपस में लड़ाने की नीति के खिलाफ हैं। वक्ताओं ने कहा कि भाजपा (BJP) नेता नरेंद्र मोदी चुनावी भाषणों में दो करोड़ बेरोजगारों को नौकरी देने की घोषणा किए थे। सत्ता में आने के बाद करोड़ों नौकरी छीनने का काम किए।

उसी तर्ज पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief minister Hemant Soren) ने भी पांच लाख नौकरियां देने की घोषणा किए, लेकिन नौकरी देने के बदले भाषा के नाम पर आपस में लड़ाने का काम कर रहे हैं।

अगर सरकार (Government) की मंशा नौकरी देने की होती तो पहले स्थानीय नीति बनाने की कोशिश करते। सभी राज्यों में स्थानीय लोगों को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों को हीं नियोजन देने की नीति है। झारखंड में 21 साल बाद भी आज तक स्थानीय नीति नहीं बनाई गई है।

वक्ताओं ने कहा कि भाजपा के रघुबर सरकार ने 1985 को कटआॅफ डेट घोषित कर स्थानीय नीति बनाने की कोशिश किए, लेकिन इसके भारी विरोध के कारण यह संभव नहीं हो सका।

झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के हितों की रक्षा करने के लिए जरूरी है कि खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाने के लिए हेमन्त सरकार पहल करें, क्योंकि अलग राज्य बनाने में यही तबका सबसे ज्यादा संघर्ष किया था।

इसलिए हम मांग करते हैं कि 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति बनाई जाय एवं तत्काल तीन लाख खाली पदों पर भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू करें।

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