विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। गोमियां प्रखंड (Gomian block) के हद में घोर नक्सल प्रभावित झुमड़ा पहाड़ के ग्रामींण रहिवासी आज भी आदम युग में जीने को विवश हैं। आजादी के 74 साल बाद भी यहां के रहिवासी मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं।
जानकारी के अनुसार झुमरा पहाड़ के निकट पंचायत के सिमरा बेड़ा जो संथाली बहुल क्षेत्र है। यहां के रहिवासी आज की 21 वीं सदी में भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां न अच्छी सड़कें, न पीने के लिए पानी और ना ही अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मौजूद है। ऐसे ही एक घटना 4 जुलाई को देखने को मिली।
बताया जाता है कि स्थानीय रहिवासी वहाराम की पुत्री जो 2 दिनों से बीमार थी। उसके इलाज के लिए मुख्य सड़क तक आने के लिए 2 किलोमीटर तक का सफर खाट के सहारे तय करना पड़ा।
बताया जाता है कि झुमरा पहाड़ में विगत 3 वर्षों से उप स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार है, लेकिन वहां डॉक्टरों की सुविधा उपलब्ध नहीं है। वहीं अगर बात की जाए तो गोमियां स्वास्थ्य केंद्र लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में भला ग्रामीण इलाज कराए तो कहां कराएं।
मजबूर होकर वहाराम अपनी पुत्री छोटी कुमारी का इलाज किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में करवा रहे हैं। रहिवासियों ने कहा कि ऐसे तो सरकार द्वारा दंभ भरा जाता रहा है कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों का विकास हो रहा है। यहां विकास कहां हो रहा है, वह यहां कहीं भी नहीं दिखता है। रहिवासियों के अनुसार आज भी वे आदम युग में जीने को मजबूर हैं।
झुमरा की चोटी पर बसा अमन गांव वहां तक आने जाने के लिए आज भी सड़क तक नही है। यहां के रहिवासियों को कहीं आने जाने के लिए घोड़े का सहारा लेना पडता हैं। इस संबंध में गोमियां के प्रखंड विकास पदाधिकारी कपिल कुमार ने कहा कि मनरेगा के तहत कार्य हो रहे हैं। उन्होंने सर्वे कराकर गांव को सड़क से जोड़ने की बात कही।
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