मागे पर्व आदि धर्म व संस्कृति एवं मानव उत्पत्ति सृष्टि रचना पर्व है-सुशील पूर्ति
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में गुवा साई गांव में हरबोगाया मागे पोरोब धूमधाम से संपन्न हो गया। हो आदीवसी समाज के रहिवासियों ने नगाड़े मांदल की थाप पर जमकर नृत्य किया।
इस संबंध में दिउरी सुशील पूर्ति ने कहा कि दूर दराज से मेहमान, जमशेदपुर, चाईबासा, जगन्नाथपुर, झिकपानी, बड़ाजामदा, सारंडा के जमाकुड़िया, मुम्मी, छोटा नागरा, जोजोगुटु, नुईया, ठाकुरा, गुवा साई के आदि में श्रद्धालु रहिवासियों ने सुख शांति की कामना की। साथ में धन्यवाद देकर हरबोगय मागे पोरोब संपन्न किया गया।
इस अवसर पर दिउरी सुशील पूर्ति ने सबो को बताया कि मागे पर्व अथवा मागे पोरोब झारखंड के आदिवासी “हो” नामक समुदाय का पारंपरिक पर्व है। यह त्यौहार माघ महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। जो आदि धर्म व संस्कृति एवं मानव उत्पत्ति यानी सृष्टि रचना पर्व है।
मौके पर सारंडा पीड़ मानकी सुरेश चम्पीया, लाकेश पूर्ति, शांति पूर्ति, कविता पूर्ति, सुमित्रा पूर्ति, राज पूर्ति, लंका पूर्ति, बासु पूर्ति, मंगल पूर्ति, चंदमोहन पूर्ति, विकास पूर्ति, मंगल सिंह पूर्ति, जगमोहन पूर्ति, बीनू पूर्ति, जुरा चम्पीया आदि उपस्थित थे।
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