“अदानी हटाओ धारावी बचाव”

आंदोलनकारियों का सरकार से सवाल अदानी ही क्यों ?

मुश्ताक खान/मुंबई। मौजूदा समय में “अदानी हटाओ धारावी बचाव” के आंदोलनकारियों पुनर्विकास और पुनर्वसन के मुद्दे पर विशाल मोर्चा निकला, जो धारावी से निकल कर टी जंक्शन तक पहुंची लेकिन पुलिस ने रोक दिया। इसके बावजूद विभिन्न दलों के 33 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल धारावी री-डेवलपमेंट (DRP) के CEO श्रीनिवासन से मिलने के लिए बांद्रा पूर्व स्थित उनके म्हाडा कार्यालय पहुंचे और उन्हें मांग पत्र सौंपा।

वहीं दूसरी तरफ धारावी के टी जंक्शन पर शिवसेना के विधायक विनायक राउत, सीपीआई नेता मिलिंद रनाडे, नसीरूल हक, उदय चौधरी, शंकर कुंचीकर्वे, एनसीपी के गोरे भाई आदि ने धारविकरों के साथ बड़ी सभा की। यहां सीपीआईएम के कामरेड नारायणन, संगीता कांबले, स्थानांतरिक श्रमिक संघ के जमशेद आलम और अन्य नेताओं ने सभा को संबोधित किया।

गौरतलब है कि डीआरपी के सीईओ श्रीनिवासन से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के नेताओं में शिवसेना के पूर्व विधायक बाबुराव माने, महेश सावंत, कविता जाधव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उल्लेश गजाकोश, नंबी राजा, हालिमा शेख, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) गुट के सिद्धार्थ कासारे, मारी नायगम, आम आदमी पार्टी के संदीप कटके, पॉल राफेल, समाजवादी पार्टी के अश्फाक खान, मो. युनूस शेख, फखरुल शेख, बहुजन समाज पार्टी के श्यामलाल जैस्वार, आनंद भंडारे, आदि।

वंचित बहुजन आघाडी के इक्बाल मणियार, शेतकरी कामगार पक्ष के असगर हुसैन शेख और युवा नेत्री साम्या कोरडे, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वसंत खंदारे, शैलेंद्र कांबले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रकाश रेड्डी, चंद्रकांत शिंदे, जनता दल (सेक्युलर) के सुहास बने, कमरे आलम, धारावी बिजनेस मैन वेल्फेअर असोसिएशन के अन्सार शेख, अबु खालिद (अंजुम) शेख, सामाजिक कार्यकर्ता संजय भालेराव के आलावा बड़ी संख्या में धाराविकर मौजूद थे।

धारावी की अजब -गजब दास्तां !

करीब दो दशक पूर्व 26 जुलाई 2005 में आई प्रलयकारी बाढ़ के बाद राज्य सरकार ने मुंबई को शंघाई की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई। हालांकी उससे पहले भी शहर और उपनगरों के विकास का खाका बनाया जा रहा था। लेकिन वर्ष 2005 यानि बाढ़ में बर्बादी के बाद इस परियोजना को अमली जमा पहनाने का काम स्लम रीडिवेलपमेंट अथॉरिटी (SRA) के तहत शुरू हुआ।

एसआरए में घरों के पात्र और अपात्र के खेल में भ्रष्टाचार बेलगाम हो गया। इस दौरान पात्र लोगों को 225 वर्ग फिट का आवास दिया जाने लगा। वर्ष 2008 में पहली बार धारावी में 225 वर्ग फिट के आवास को लेकर बवाल, या यूं कहें की आंदोलन शुरू हुआ जो वर्ष 2012 तक चला।

धारावी के नागरिकों की मांग 400 वर्ग फिट के आवास की थी, जो अब भी है। इस बीच सरकार और विभाग की तरफ कई समझौते हुए 225 वर्ग फिट बढ़ा कर 300 वर्ग फिट, फिर 350 वर्ग फिट किया गया। यहां कई उतर चढाव हुए लेकिन धारावी की जनता अपने पहले मांग पर अब भी अटल है।

मौजूदा राज्य और केंद्र सरकार का शगूफा !

उल्लेखनीय है कि जब से धारावी के विकास का काम अदानी को दिया गया है, आखिर अदानी ही क्यों ? तभी से धारावी में विरोध शुरू हो गया है, करीब 10 से 12 लाख की जनसंख्या वाली धारावी को बिजनेस हब कहा जाता है। बहरहाल सरकार की तरफ से विकासक के तौर पर अदानी को नियुक्त किये जाने से धारावी की जनता आक्रोशित है क्योंकि यह ग्रुप विश्वास के लायक नहीं है।

यही कारण है कि धारावी में वर्ष 2022 दिसंबर से लगातार धरना मोर्चा और आंदोलन चल रहा है। सरकारी नीतियों के खिलाफ धराविकारों ने मोर्चा खोल दिया है। धारावी -बीकेसी के टी जंक्शन पर शेतकरी कामगार पक्ष की युवा नेत्री साम्या कोरडे ने राज्य सरकार की नीतियों का बखान करते हुए अदानी की पोल खोल दी हे। साम्या के जोरदार भाषण ने धारावी की जनता की आँखे खोल दी।

वहीं शिवसेना के पूर्व विधायक बाबू राव माने ने अदानी की कंपनी की नाकामी के अनेक बिंदुओं को धारावी की जनता के साथ साझा किया है। जबकि अन्य वक्ताओं आरोप लगाया कि अदानी की कंपनी को लाभ पहुंचने के लिए केंद्र के इशारे पर राज्य सरकार ने डीआरपी के सीईओ श्रीनिवासन को नियुक्त किया है। ….जारी

Tegs: # Remove adani dharavi rescue

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