अक्षय तृतीया पर बाल विवाह निषेध अभियान तेज
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के निकटवर्ती वैशाली जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत स्व. कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच जागरूकता अभियान चलाया है। इस अभियान की खास बात यह है कि धर्मगुरुओं ने बाल विवाह की रोकथाम की कमान संभाल ली है।
इस अक्षय तृतीया पर बाल विवाह नहीं होंगे। इसके लिए अक्षय तृतीया को बाल विवाह निषेध अभियान चलाया गया है। वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर नगर के अस्पताल रोड स्थित स्व.कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान सभा कक्ष में 28 अप्रैल को आयोजित अक्षय तृतीया बाल विवाह निषेध जागरूकता अभियान को लेकर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संस्थान के सचिव सुधीर कुमार शुक्ला ने उपरोक्त जानकारी दी। उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला है। इस अक्षय तृतीया के अवसर पर वैशाली जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा।
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में नागरिक, समाज, संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठन स्व. कन्हाई शुक्ला सामाजिक सेवा संस्थान की ओर से अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के मौसम को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को व्यापक सफलता मिली है। सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन का हाथ बढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी बाल विवाह किसी पंडित, मौलवी या पादरी जैसे पुरोहित के बिना संपन्न नहीं हो सकता। हमने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ अभियान से जोड़ने का फैसला किया। इसके सकारात्मक नतीजों को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं कि इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होगा। जिले में तमाम मंदिरों-मस्जिदों के आगे ऐसे बोर्ड लगे हैं जिन पर स्पष्ट लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है।
संस्थान ने स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझा कर अकेले 2023-24 में ही जिले में लगभग 700 से अधिक बाल विवाह रुकवाए हैं। यह संगठन 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋभु की किताब व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज में सुझाई गई समग्र रणनीति पर अमल कर रहा है।
उन्होंने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी जागरूकता की कमी है। ज्यादातर रहिवासियों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के व्यक्तियों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया। क्योंकि यह वर्ग सबसे महत्वपूर्ण है, जो विवाह संपन्न कराता है। हमने उन्हें समझाया कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ दुष्कर्म है। अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी बच्ची से वैवाहिक संबंधों में यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है।
बेहद खुशी का विषय है कि पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं। यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे तो देश से रातों रात इस अपराध का सफाया हो सकता है। इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
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