भ्रष्ट अधिकारियों एवं ठेकेदारों के गठजोड़ की सीबीआई जांच हो-राजेंद्र सिंह

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। हिंद मजदूर सभा से संबद्ध क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ द्वारा सेल बोकारो स्टील के मजदूर तथा ठेका मजदूरों के लंबित मांगों के समर्थन में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 9 अगस्त को विराट प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व संघ के महामंत्री राजेंद्र सिंह कर रहे थे।

इस अवसर पर संघ के महामंत्री सह सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने विराट प्रदर्शन सभा को संबोधित करते हुए ना सिर्फ बोकारो प्रबंधन बल्कि सेल प्रबंधन पर भी जमकर बरसे। महामंत्री सिंह ने कहा कि आज ही के दिन 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने नारा दिया था अंग्रेजों भारत छोड़ो।

उन्होंने कहा कि तब देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली, मगर आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी यहां के मजदूर खास कर ठेका मजदूर गुलामी और दासता को मजबूर हैं।

उन्होंने कहा कि मजदूरों के संघर्ष तथा लंबे इंतजार के बाद सेल के मजदूरों का वेज रिवीजन का एमओयू हुआ, मगर सेल प्रबंधन इतनी लचर और सुस्त है कि अब तक वेज रिवीजन का पूर्ण लाभ मजदूरों को नहीं मिल सका है। आज भी 39 महीने का एरियर जो कि मजदूरों के खून पसीने की कमाई है प्रबंधन दबाकर बैठी है। रात्रि पाली भत्ता का नुकसान भी मजदूरों को उठाना पड़ रहा है।

सिंह ने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि, सेल तथा बीएसएल प्रबंधन क्षमता से अधिक उत्पादन लक्ष्य तय कर मजदूरों के इंसेंटिव रिवॉर्ड पर भी छुरी चलाने से बाज नहीं आ रही है। मजदूरों का पेट काटकर अधिकारियों की झोली भरी जा रही है।

उन्होंने कहा कि एक ओर प्रबंधन सेल मजदूरों को छलने का काम कर रही है दूसरी ओर ठेका मजदूरों की स्थिति और भी दयनीय है। कारखाना में भवन निर्माण एवं बीड़ी पत्ता का मिनिमम वेज सुनने से ही हास्यास्पद लगता है। यहां यही नियम है। वह भी मिनिमम वेज लगभग 90 प्रतिशत मजदूरों को नहीं मिलता है।

जो मजदूर मिनिमम वेज के लिए आवाज उठाते है उसे प्लांट से बाहर निकाल दिया जाता है। मजदूरों का भांति भांति प्रकार से शोषण की कला में यहां के अधिकारी पारंगत हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि ठेका मजदूरों के ग्रुप इंश्योरेंस पर प्रबंधन ने कई वादे किए, मगर ग्रुप इंश्योरेंस नहीं किया। सिर्फ कोरा वादा।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सेल के ही कई इकाइयों में ठेका मजदूरों को ग्रेच्युटी मिलता है मगर बोकारो प्रबंधन को सिर्फ उत्पादन का रिकॉर्ड हासिल करना है बाकी मजदूर मरते हैं तो मरे। भ्रष्टाचार इतनी चरम पर है कि ठेका मजदूरों की गाढ़ी कमाई जैसे मिनिमम वेज, एडब्ल्यूए फाइनल का हर वर्ष लगभग ₹ 200 करोड़ अधिकारी और ठेकेदार मिलकर बंदरबांट कर रहे हैं। आज इस प्रदर्शन के माध्यम से मैं इस लूट की सीबीआई जांच की मांग करता हूं।

महामंत्री ने कहा कि नगर सेवक पूरी तरह से नगद सेवा बन चुकी है। हजारों आवासों को अवैध रूप से भाड़े पर लगाकर अधिकारी बिचौलिए के माध्यम से अपना जेबें भर रहे हैं। सिर्फ इसी वजह से डी एवं सी टाईप के आवास को लाइसेंस पर नहीं दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यहां के अस्पताल की दशा और डॉक्टरों का व्यवहार तो पूछिए भी नहीं। इलाज की तो छोड़िए, गंभीर बिमारी के बावजूद मजदूरों का एमआईबी किया जाता है, मगर अनफिट नहीं किया जाता है। ना ही उन्हें अन्यत्र रेफर किया जाता है। मतलब शुद्ध रूप से सेल एवं बोकारो प्रबंधन भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुका है।

उन्होंने कहा कि आज अगस्त क्रांति की इस पावन जयंती पर मजदूरों की ओर से एक ही नारा देना चाहूंगा प्लांट मजदूरों का है भ्रष्टाचारियों प्लांट छोड़ो। महामंत्री सिंह ने कहा कि बीते 4 अगस्त को सेल चेयरमैन से वार्ता में हमने साफतौर पर मांग की है कि अगस्त माह में एनजेसीएस की बैठक बुलाकर सभी लंबित मामलों का निपटारा करें।

अगर प्रबंधन लंबित मामलों के निपटारे में टालमटोल करती है तो 9-10 सितंबर को दुर्गापुर में होने वाली यूनियन के महासम्मेलन में आर पार की आखिरी लड़ाई की घोषणा के साथ सैकड़ो मजदूर दिल्ली सेल अध्यक्ष कार्यालय कूच करने को बाध्य होंगे।

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