विकास सिंह/मंदिर में कर पूजा या मस्जिद में तू कर सजदा !
तेरे दुःख तो न होंगे कम कि जब तक रात बाकी है !
ये हैं बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में गाँधीनगर थाना (बेरमो) गांधीनगर बस्ती की रहीमा बीवी जो विधवा हैं। अपनी डेढ़ एकड़ जमीन पर खेती कर और बकरी पालन कर अपनी जीविका चलाती हैं।
इस वर्ष 15 अगस्त को जब पूरा देश स्वतंत्रता दिवस के जश्न में डूबा हुआ था, रहीमा बीवी को बुरी तरह पीटकर हाथ तोड़ दिया गया। रहिवासियों ने किसी तरह रहीमा बीवी को थाना पहुंचाया, लेकिन न तो रहीमा बीवी का बयान लिया गया न कोई केस दर्ज हुआ।
अलबत्ता उन्हें सिर्फ इंज्यूरी रिपोर्ट के लिए पीएचसी जरीडिह बाजार भेज दिया गया। जहां से इनकी स्थिति को देखते हुए बोकारो स्टील सिटी रेफ़र कर दिया गया।
इस घटना के बाद पांच-छह दिनों तक अपराधियों से ” शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ” के सिद्धांत के अनुसार चाय पे चर्चा होती रही और रहीमा बीवी दर्द से कराहती रही। अचानक 21 अगस्त को चाय में मक्षिकापात हो गया और अलका मिश्र नामक एक वरिष्ठ पत्रकार सह सामाजिक कार्यकर्ता ने दबाव बनाया तो साधारण धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया।
बावजूद इसके पुलिसिया कार्रवाई कुछ भी नहीं हुई। इस बीच रहीमा बीवी के टूटे हाथ का आपरेशन और प्लास्टर भी हो गया, लेकिन थाना वालों ने इंज्यूरी रिपोर्ट की कोई जरूरत नहीं महसूस की। हवा में यह भी बात उड़ी कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाना प्रभारी द्वारा नजराना दस हजार भी लिए गए, जिसे रहीमा बीवी ने अपनी जमीन के खरीददार से लेकर दिए (इसकी पुष्टि जगत प्रहरी नहीं करता है)।
अफसोस कि पैसे लेने के बाद भी थानेदार द्वारा अपराधियों को संरक्षण दिया जाता रहा और अलका मिश्र के अथक प्रयास से एक माह बाद इंज्यूरी रिपोर्ट थाना पहुंचा जो चोट को ग्रीवियस के रूप में दर्शाया गया है।
आश्चर्य की बात यह कि इंज्यूरी रिपोर्ट आते ही एक झूठा मुकदमा रहीमा बीवी और उनके बेटे के खिलाफ मारपीट और छेड़छाड़ का गैर-जमानती दफा में दर्ज हो गया, जबकि इनका बेटा मज़दूरी करने ओड़िसा गया था और रहीमा बीवी बिस्तर पर पड़ी थी।
इस बीच रहीमा बीवी की कई बकरियां और खस्सी गायब हो गये। बकौल पीड़िता एक दिन उसने अपनी आंखों से अपने विरोधियों को एक बकरी और एक खस्सी को उठाकर कार में लेकर भागते देखा, लेकिन वह थाना जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
सवाल यह उठता है कि क्या थाना अपराधियों के संरक्षण के लिए है? पीड़ित के खिलाफ बदमाशों और पैसे वालों का झूठा मुकदमा दर्ज कर पीड़ित व्यक्ति का मुंह बंद करने के लिए है? हमलोग जो सार्वजनिक मंचों पर लंबे लंबे आदर्शवादी ब्याख्यान देते रहते हैं।
ऐसी घटनाओं पर मुंह सीलकर घर में लुगाई के अंचरा में मुंह छुपाकर सो जाने के लिए हैं? रहीमा बीवी को न्याय दिलाने के लिए 16 अक्तूबर को दोपहर दो बजे एक बैठक बनासो मंदिर परिसर जारंगडीह में आहूत की गई है।
जिनका ज़मीर जिन्दा है, पधारने का कष्ट करेंगे। इसके लिए मोबाइल क्रमांक-9431506556 तथा 7004046634 पर भी संपर्क किया जा सकता है।
(लेखक एक राजनीतिक दल से जुड़े श्रमिक पदाधिकारी तथा स्तंभकार हैं)
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