गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्प काल विद्या सब आई

श्रीराम कथा के चौथे दिन भक्ति रस में सराबोर हुए श्रोता

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्प काल विद्या सब आई। सारण जिला के हद में बाबा हरिहरनाथ मंदिर के समीप सोनपुर मेला के रामलीला मंच पर संगीतमय राम कथा के चौथे दिन 20 दिसंबर को कथा व्यास जगद्गुरु रामानुजाचार्य आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने भगवान श्रीराम की बाल लीला प्रस्तुत किया।

उन्होंने श्रीराम का सांगोपांग वर्णन करते हुए कहा कि गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्प काल विद्या सब पाई। कहा कि श्रीराम परम् ब्रह्म थे। उन्होंने लौकिक लीला के तहत गुरु के आश्रम में बहुत ही कम समय में सभी विद्या प्राप्त कर ली। उसी समय मुनि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से यज्ञ में विध्न उत्पन्न करने वाले आसुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए राम और लक्ष्मण को मांग लिया।

करुण रस से भींगी इस कथा के श्रवण से दर्शको की आंखें अश्रु पूरित हो गयीं। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या के राजा दशरथ अंदर ही अंदर कलपते हैं। सोंचतें हैं कि श्रीराम लक्ष्मण की इस समय केवल 15 वर्ष की आयु हैं। दोनों किशोर और अत्यंत कोमल हैं। उन्होंने अभी अस्त्र शस्त्र की विधिवत् शिक्षा भी पूर्ण नहीं की है।

ऐसे में ये दुर्दान्त और अत्यन्त बलशाली मायावी राक्षसों से यह कैसे युद्ध करेंगे? राजा दशरथ भावुक हो गए और रोने लगे। गुरु वशिष्ठ के समझाने पर उन्होंने अपने गुरु का आज्ञा पालन करते हुए राम लक्ष्मण को देने का निर्णय लिया। जब दोनों भाई गुरु विश्वामित्र के साथ बक्सर पहुंचे तो उन्होंने यज्ञ की रक्षा करने के क्रम में ताड़का, सुबाहु का वध किया। दोनों भाई जनकपुर के रास्ते में गौतम के शाप से पत्थर बनी उनकी पत्नी अहिल्या का उद्धार किया।

आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा प्रसंग में हम राम जी के है और रामजी हमारे है भजन पर श्रोता झूम उठे। जगद्गुरु आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने पुष्पक विमान की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में विमानों का वर्णन है। पश्चिम के वैज्ञानिकों ने इस पर रिसर्च कर प्रकट करने का काम किया। कहा ज 1 करोड़ 96 लाख वर्ष पूर्व हमारे यहां विमान था। यह शास्त्रों में वर्णित है।

उन्होंने प्रभु आते आते बहुत देर कर दी। अहिल्या उद्धार के साथ साथ दानवीर राजा मौर्यध्वज, द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण और माता यशोदा प्रकरण से जुड़ी कथाओं का भी श्रवण कराया। मानो तो मैं गंगा मां हूं न मानो तो बहता पानी गायन के साथ गंगा नदी किनारे विश्वामित्र द्वारा गंगा जी की उत्पत्ति का कथा वृतांत सुनाया।

कहा कि जनकपुर में मिथिला के राजा जनक के यहां से मुनि विश्वामित्र को धनुष- यज्ञ देखने का निमंत्रण आया, तो मुनि राम-लक्ष्मण के साथ जनकपुर पहुंचे। निराकार परम् ब्रह्म के उपासक राजा जनक सगुण- साकार भगवान के दर्शन कर तृप्त हुए। उन्हें दिव्य प्रेमानंद का सुख प्राप्त हुआ।

इसके बाद जनकपुर की फुलवारी प्रसङ्ग की संगीतमय प्रस्तुति तो इतनी मनमोहक थी कि सारे दर्शक और श्रोता प्रसन्नता से झूम उठे। फुलवारी में जाने से पूर्व माली और श्रीराम का संवाद भी लाजवाब रहा। राम-सिया का मिलन, भगवान राम द्वारा शिवजी का धनुष तोड़ा जाना, परशुराम जी का क्रोध, श्रीराम-लक्ष्मण का वीर रस से भरा संवाद आदि बहुत आकर्षक रहा। बताया गया कि 21 दिसंबर को विवाह महोसव बहुत धूमधाम से मनाया जायेगा।

इस अवसर पर हरिहरनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सुशील चंद्र शास्त्री, हरिहरनाथ मंदिर न्यास के सचिव विजय कुमार सिंह लल्ला, कोषाध्यक्ष निर्भय कुमार, विश्वनाथ सिंह अधिवक्ता, अभय कुमार सिंह अधिवक्ता, पवन शास्त्री आदि की उपस्थिति रात्रि 9:30 बजे तक रही। अंत में जगद्गुरु आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज के कर कमलों से उपस्थित संतों, जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरित किया गया, जिसमें भाजपा नेता राकेश कुमार सिंह भी उपस्थित थे।

 

 422 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *